वीडियो काॅल पर दो बार गैंगस्टर से हेयरस्टाइल ठीक करवाया, फिर भी गवाह ने नहीं पहचाना, कारोबारी मक्कड़ के घर गोलीकांड में NIA को झटका
चंडीगढ़ में कारोबारी कुलदीप सिंह मक्कड़ के घर गोलीबारी मामले में एनआईए को तब झटका लगा जब एक सुरक्षित गवाह गैंगस्टर प्रेम सिंह को पहचानने से मुकर गया। ...और पढ़ें

स्पेशल कोर्ट में चल रहे मुकदमे की सुनवाई के दौरान एनआईए का प्रोटेक्टेड विटनेस बयान से मुकर गया।
रवि अटवाल, चंडीगढ़। सेक्टर-5 में नामी कारोबारी कुलदीप सिंह मक्कड़ की कोठी पर हुई गोलीबारी के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बड़ा झटका लगा है। स्पेशल कोर्ट में चल रहे मुकदमे की सुनवाई के दौरान एनआईए का प्रोटेक्टेड विटनेस बयान से मुकर गया। गैंगस्टर का दो बार हेयरस्टाइल ठीक कराने के बावजूद गवाह ने उसे पहचानने से इन्कार कर दिया।
यह वह गवाह था जिसे अदालत के आदेश पर विशेष सुरक्षा दी गई है। उसकी गवाही आम कोर्टरूम में नहीं, बल्कि एक विशेष बंद कमरे में हुई जिसे वल्नरेबल विटनेस सेंटर कहा जाता है। वहां उसे कोई देखने वाला भी नहीं था। गैंगस्टर उसे देख न सके, इसलिए उनकी शिनाख्त जेल से वीडियो काॅल के जरिए हुई।
एनआईए के सरकारी वकील ने कहा कि फोटो में गैंगस्टर के बाल ऊपर को थे। इसलिए उसे दोबारा वीडियो काॅल की गई। इस बार उसे बाल ऊपर को करने को कहा गया, लेकिन गवाह ने नहीं पहचाना। तीसरी बार भी वीडियो काॅल की गई, लेकिन इस बार भी गवाह ने उसे पहचानने से इन्कार कर दिया।
पिछले साल कनाडा बैठे गेंस्टर गोल्डी बराड़ ने फिरौती के लिए मक्कड़ की कोठी पर गोलियां चलवाई थीं। इसके बाद उसने वर्चुअल नंबर से फोनकर मक्कड़ से तीन करोड़ रुपये फिरौती भी मांगी थी। वहीं, गोलियां चलाने के बाद दो आरोपित अमृतपाल सिंह उर्फ गुज्जर और कमलप्रीत सिंह पल्सर बाइक पर फरार होकर प्रेम सिंह के घर ठहरे थे।
प्रेम सिंह के घर रुकने से पहले वह एक शख्स के घर दो घंटे रुके थे। एनआईए को जांच के दौरान इस शख्स का पता चला तो उसे गवाह बना लिया गया। गैंगस्टरों की शिनाख्त के लिए यह अहम गवाह था। उसने अमृतपाल और कमलप्रीत को तो पहचान लिया लेकिन प्रेम सिंह को पहचानने से इनकार कर दिया।
इसलिए अहम था यह गवाह
मक्कड़ के घर गोलियां चलाने के बाद अमृतपाल और कमलप्रीत इस गवाह के घर रुके थे। वह घबराए हुए लग रहे थे। उन्होंने बता दिया कि वह गोल्डी बराड़ के कहने पर सेक्टर-5 चंडीगढ़ में गोलियां चलाकर आए हैं। इस पर वह डर गया। उसने उन दोनों को उसके घर से जाने को बोल दिया।
कुछ देर बाद अमृतपाल और कमलप्रीत को लेने के लिए वहां उनका एक साथी प्रेम सिंह आ गया। वह सफेद रंग की वर्ना कार में आया था। अमृतपाल और कमलप्रीत ने अपनी मोटरसाइकिल वहीं खड़ी कर दी और दोनों प्रेम सिंह के साथ उसकी कार में चले गए। एनआईए को जांच के दौरान इस शख्स का पता चला तो उसे गवाह बना लिया गया।
कोर्ट ने इस्तेमाल किया आवाज बदलने वाला डिवाइस
पहली बार जिला अदालत में ऐसा डिवाइस इस्तेमाल किया गया, जिससे गवाह की आवाज बदल जाती है। इसे वाइस आल्टरिंग डिवाइस कहा जाता है। गवाह को कमरे में एक पर्दे के पीछे बिठाया गया। वहां से वह अपनी नाॅर्मल आवाज में गवाही दे रहा था, लेकिन पर्दे के दूसरी ओर जज और वकीलों तक उसकी आवाज काफी पतली और बदली हुई सुनाई दे रही थी।
यह इसलिए जरूरी था क्योंकि इस केस में 23 ऐसे गवाह हैं जिन्हें आतंकी गोल्डी बराड़ से जान का खतरा है। इसके लिए उन्हें सुरक्षा दी गई है। इन सभी 23 गवाहों के बयान बंद कमरे में ही करवाए जा रहे हैं।

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