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    हरियाणा में श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध शुरू, 20 कर्मचारियों वाले निजी कंपनी होगी बाहर; 26 को होगा प्रदर्शन

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 06:08 PM (IST)

    हरियाणा में श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठन 20 कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को श्रम कानूनों से बाहर करने का विरोध कर रहे हैं। वे कार्य दिवस बढ़ाने और बिना ब्रेक के काम कराने के भी खिलाफ हैं। 26 नवंबर को मजदूर-कर्मचारी-किसान सभी जिलों में प्रदर्शन करेंगे और न्यूनतम वेतन बढ़ाने की मांग करेंगे।

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    हरियाणा में श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध शुरू। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में श्रम कानूनों में बदलाव का विराेध शुरू हो गया है। 20 मजदूरों या कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को श्रम कानूनों से बाहर करने, कार्य दिवस को नौ की बजाय 10 घंटे करने और बिना किसी ब्रेक के श्रमिक से पांच की बजाय छह घंटे काम लेने के खिलाफ लामबंद कर्मचारी संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने आंदोलन की घोषणा की है।

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    कपड़ा उद्योग में बच्चों के साथ महिलाओं को काम करने की इजाजत और बिना सुरक्षा उपायों के रात्रि पाली में महिला मजदूरों को काम देने की स्वीकृति का फैसला भी रास नहीं आ रहा।

    केंद्रीय श्रमिक संगठन सीटू के प्रदेश महासचिव जय भगवान, एटक राज्य महासचिव अनिल कुमार, इंटक राज्य महासचिव धर्मवीर लोहान, एचएमएस महासचिव सुरेंद्र लाल, एआइयूटीयूसी राज्य सचिव हरि प्रकाश, सर्व कर्मचारी संघ के राज्य महासचिव नरेश ने बृहस्पतिवार को संयुक्त बैठक में कहा कि श्रम कानूनों में बदलाव सही नहीं है।

    ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शुरुआत की पांचवीं वर्षगांठ पर मजदूर-कर्मचारी-किसान 26 नवंबर को सभी जिलों में प्रदर्शन करेंगे।

    वरिष्ठ कर्मचारी नेता सुभाष लांबा ने कहा कि ईज आफ डूइंग बिजनेस के नाम पर मजदूर हितों पर कुठाराघात किया जा रहा है। 10 साल से न्यूनतम वेतन संशोधित नहीं किया गया। सरकार तुरंत न्यूनतम वेतन संशोधित कर इसे 26 हजार रुपये प्रतिमाह करे।

    यह हैं प्रमुख मांगें

    • मजदूर विरोधी चार लेबर कोड्स रद किए जाए
    • न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये किया जाए
    • ठेका प्रथा बंद कर अस्थायी कर्मचारियों को नियमित किया जाए
    • निर्माण श्रमिकों सहित मजदूरों के लिए बने विभिन्न बोर्ड को मजबूत कर सुविधाएं दी जाएं
    • मनरेगा में 200 दिन काम और 800 रुपये मजदूरी हो
    • न्यूनतम पेंशन 10 हजार रुपये की जाए
    • सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत कर नियमित कर्मचारी भर्ती किए जाएं
    • कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम बहाल हो
    • नौकरी से निकाले गए सभी ठेका कर्मियों को वापस लिया जाए
    • असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, ट्रांसपोर्ट क्षेत्र/ वाहन चालकों, रेहड़ी पटरी मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कानून बने
    • मजदूर और किसानों के कर्जे माफ हाें
    • बिजली बिल 2025 निरस्त किया जाए।