Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंजाब ने फायर ब्रिगेड में महिलाओं के लिए 50 साल पुराना नियम बदला, सैंकड़ों की भर्ती का रास्ता साफ

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 08:11 PM (IST)

    पंजाब सरकार ने महिलाओं को अग्निशमन सेवा में शामिल करने के लिए भर्ती नियमों में ऐतिहासिक बदलाव किया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में, महिलाओं के लिए वजन उठाने की आवश्यकता को 60 किलोग्राम से घटाकर 40 किलोग्राम कर दिया गया है, जिससे पंजाब ऐसा करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। इस प्रगतिशील कदम से हजारों महिलाओं को अग्निशमन विभाग में शामिल होने का अवसर मिलेगा, जो योग्यता-आधारित समानता को बढ़ावा देगा।  

    Hero Image

    सारे बैरियर तोड़ आगे बढ़ रही है पंजाब की बेटियां

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। जिस तरह देश हमारे एथलीटों और टीमों द्वारा प्रदर्शित अदम्य भावना का जश्न मना रहा है—जैसे कि भारतीय क्रिकेट टीम की ऐतिहासिक गति—ठीक उसी तरह, पंजाब सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि उत्कृष्टता की यह भावना न केवल खेल के मैदान में, बल्कि सार्वजनिक सेवा क्षेत्र में भी पोषित हो। मुख्यमंत्री भगवंत मान के निर्णायक नेतृत्व में, राज्य ने एक ऐतिहासिक प्रशासनिक कदम उठाया था जिसकी जितनी तारीफ और जितनी सरहाना हो उतनी कम है और ये कदम अपनी महिलाओं की गरिमा और सशक्तिकरण के लिए सक्रिय रूप से काम करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है फायर ब्रिगेड भर्ती नियमों में लंबे समय से लंबित संशोधन।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंजाब महिला अग्निशामकों की सक्रिय रूप से नियुक्ति करने वाला पहला राज्य हालाँकि, सरकार ने हाल ही में इन पदों पर महिलाओं की नियुक्ति को सुगम बनाने के लिए शारीरिक भर्ती मानदंडों में संशोधन किया है, और जल्द ही भर्ती शुरू होने की उम्मीद है।इससे पहले, कठोर शारीरिक परीक्षण आवश्यकताओं, जैसे कि एक मिनट में 100 गज से अधिक दूरी तक 60 किलोग्राम वजन उठाना, का मतलब था कि 2022 में अग्निशामक पदों के लिए आवेदन करने वाली लगभग 1,400 महिलाओं में से कोई भी इस नौकरी के लिए योग्य नहीं हो सकती थी।और कईं दशकों से, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाओं की अग्रिम पंक्ति में शामिल होने का मार्ग हजारों योग्य महिलाओं के लिए एक मनमानी, पुरातन व्यवस्था के कारण बंद रहा जो 1970 के दशक से चली आ रही थी शारीरिक परीक्षा में एक मिनट में 100 गज की दूरी तक 60 किलोग्राम वजन उठाना अनिवार्य था।

    यह कठोर और पुराना मानक दर्शाता था कि महिला उम्मीदवार लिखित परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करने के बावजूद, शारीरिक मूल्यांकन के दौरान व्यवस्थित रूप से अयोग्य घोषित हो जाती थी। इसका मुख्य कारण यह था कि यह मानदंड सामान्य पुरुष जनसांख्यिकी के लिए स्थापित किया गया था और शरीर की संरचना में शारीरिक और जैविक अंतरों को ध्यान में रखने में विफल रहा। परिणामस्वरूप, बड़ी संख्या में आवेदकों के आवेदन करने के बावजूद, एक भी महिला भर्ती नहीं हो पाई।अधिवक्ता समूहों और हजारों आशावान उम्मीदवारों द्वारा सराहे गए इस कदम में, राज्य सरकार ने भर्ती प्रक्रिया में सीधा हस्तक्षेप किया। यह मानते हुए कि सच्ची क्षमता का माप द्रव्यमान से नहीं, बल्कि चपलता, कौशल और शुद्ध साहस से होता है, मंत्रिमंडल ने इतिहास में पहली बार नियमों में संशोधन किया, महिलाओं के लिए वजन उठाने की आवश्यकता को 60 किलोग्राम से घटाकर 40 किलोग्राम कर दिया।

    इस प्रगतिशील निर्णय ने तुरंत अवसरों के द्वार खोल दिए, जिससे महिला उम्मीदवारों को अधिक निष्पक्षता के साथ प्रतिस्पर्धा करने और अंततः शारीरिक मानकों को पास करने की अनुमति मिली। प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है: प्रतीकात्मक समावेशन का युग समाप्त हो गया है; यह वास्तविक, योग्यता-आधारित समानता का युग है।एक प्रगतिशील कदम उठाते हुए, पंजाब सरकार ने पंजाब अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा विधेयक, 2024 पारित कर दिया है, जिसके तहत महिला उम्मीदवारों के लिए वज़न उठाने की अनिवार्यता को घटाकर 40 किलोग्राम कर दिया गया है और ऊँचाई संबंधी आवश्यकताओं में कुछ छूट दी गई है। इस तरह, यह ऐसा बदलाव लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है। इस फैसले से निकट भविष्य में सैकड़ों महिलाओं के राज्य के अग्निशमन विभाग में शामिल होने का रास्ता साफ होने की उम्मीद है।

    अमृतसर की सिमरनजीत कौर बताती है, “मेरे भाई ने मुझसे कहा था—बहन, तू लिखित में कितना भी अच्छा कर ले, आखिर में वो 60 किलो तेरा रास्ता रोक देंगे। और सच में, ऐसा ही हुआ। मैं दो बार फेल हुई, दोनों बार वज़न की वजह से।” फिर कुछ बदला। मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने इतिहास में पहली बार इन नियमों पर सवाल उठाया। कैबिनेट ने फैसला लिया—महिलाओं के लिए वज़न की शर्त 60 किलो से घटाकर 40 किलो की जाएगी। ये सिर्फ एक संख्या का बदलाव नहीं था। ये हज़ारों सपनों को पंख देने का फैसला था। ये मानना था कि ताकत सिर्फ वज़न में नहीं, हुनर में होती है। चुस्ती में होती है। हिम्मत में होती है।

    “सरकार ने समझा कि असली क्षमता किलो से नहीं, किरदार से नापी जाती है,” पंजाब के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा।
    नए नियमों के बाद पहली बार दर्जनों महिला उम्मीदवार शारीरिक परीक्षा पास कर पाई। जसप्रीत, सिमरनजीत, और उनकी जैसी सैकड़ों लड़कियां अब पंजाब फायर ऐंड इमरजेंसी सर्विसेज़ का हिस्सा बनेंगी—यूनिफॉर्म में, फ्रंटलाइन पर, आग से लड़ते हुए। पुराने नियम एक ज़माने की सोच से बने थे, जब माना जाता था कि फायरफाइटिंग सिर्फ मर्दों का काम है। लेकिन आज की औरतें साबित कर रही है कि काबिलियत का कोई जेंडर नहीं होता।

    शारीरिक बनावट का सम्मान: महिलाओं और पुरुषों की शारीरिक बनावट अलग होती है। इसे मानना कमज़ोरी नहीं, समझदारी है।
    मेरिट पर फोकस: अब परीक्षा सिर्फ वज़न उठाने की नहीं, कुशलता, गति और व्यावहारिक हुनर की है।असली समावेश:ये प्रतीकात्मक शामिल करना नहीं है—ये असली, योग्यता-आधारित बराबरी है। पंजाब की ये बेटियां अब आग बुझाएंगी। लेकिन इससे पहले, इन्होंने समाज की एक पुरानी सोच की आग बुझा दी है—और उसकी जगह उम्मीद का दीया जलाया है। और ये मुमकिन हो पाया मान सरकार की वजह से क्यूंकि उन्होंने इस पर विचार किया और तब्दीली कर इन लड़कियों को भी दिया आगे बढ़ने का मौका