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    डिजास्टर रिस्पांस फंड 12 हजार करोड़, पंजाब में फसल मुआवजे की मांग को PM ने क्यों अनदेखा किया?

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 08:14 PM (IST)

    प्रधानमंत्री मोदी ने पंजाब को बाढ़ राहत के लिए 1600 करोड़ रुपये की सहायता घोषित की लेकिन एसडीआरएफ नियमों में ढील देने से इनकार कर दिया जबकि राज्य सरकार ने 20 हजार करोड़ की मांग की थी। मुख्यमंत्री मान ने फसल नुकसान के लिए प्रति एकड़ 50 हजार रुपये मुआवजे की मांग की जिसे पीएम ने अनदेखा कर दिया।

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    पंजाब में बाढ़ के चलते अफसरों ने पीएम के सामने रखी 13289 कराेड़ की मांग (फोटो: जागरण)

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा करने के बाद पंजाब के लिए विशेष वित्तीय सहायता के लिए त्वरित राहत के तौर पर 1600 करोड़ रुपए की घोषणा की साथ ही कहा कि राज्य के पास स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड में भी 12 हजार करोड़ पड़े हैं।

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    दिलचस्प बात यह है कि बीते कल पंजाब सरकार के चार अलग अलग मंत्रियों ने बीस हजार करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता देने की मांग की थी लेकिन आज प्रधानमंत्री के साथ राज्य के मंत्रियों और सीनियर अधिकारियों ने नुकसान की जो प्रेसेनटेंशन दी उसमें 13289 करोड़ रुपए की मांग की।

    पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री को जो पत्र लिखा था उसमें यह मांग की थी कि किसानों की फसलों का जो नुकसान हुआ है उसके लिए स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फंड के नियमों में छूट दी जाए ताकि किसानों की चार लाख एकड़ जमीन पर खड़ी फसल जो बर्बाद हुई है उसके नुकसान की कुछ आपूर्ति हो सके।

    पंजाब की बड़ी मांग को PM ने क्यों अनदेखा किया?

    लेकिन पंजाब की इस बड़ी मांग को प्रधानमंत्री अनदेखा कर गए। मुख्यमंत्री ने पीएम से 50 हजार रुपए प्रति एकड़ फसल के नुकसान को देने की मांग की थी। पीएम के साथ हुई बैठक में कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने भी कहा कि यह नुकसान के अनुसार बहुत कम है इसे बढ़ाया जाए।

    एक सीनियर ब्यूरोक्रेट ने बताया कि हमने वन टाइम छूट यह कहते हुए मांगी थी क्योंकि किसानों की फसल पकने के किनारे थी। उन्होंने इसी फसल को बेचकर अपने कर्जों की अदायगी करनी है और अगले छह महीने तक अपने घर चलाने हैं व अगली फसल की तैयारी करनी है।

    प्रधानमंत्री ने आज जो घोषणाएं की हैं , विभागों के उसके विवरण का इंतजार है। मसलन पीएम ने बाढ़ में मरने वालों को दो लाख रुपए देने की मांग की है हालांकि एसडीआरएफ में चार लाख रुपए देने का प्राविधान है। विभागीय अधिकारी यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि क्या मरने वालों के स्वजन को मिलने वाले यह दो लाख रुपए उस 1600 करोड़ का हिस्सा है या अलग से दिया जाएगा।

    एक अन्य सीनियर अधिकारी ने बताया कि पीएम ने यह स्पष्ट किया है कि जिन स्कूलों, अस्पतालों, डिस्पेंसरियों, पशु डिस्पेंसरियों और मकानों का नुकसान हुआ है, उन्हें पूरा करने के लिए सर्व शिक्षा अभियान , नेशनल हेल्थ मिशन और पीएम आवास योजना में एलोकेशन बढ़ाई जाएगी लेकिन ऐसा तब किया जाएगा जब केंद्रीय टीमें अपनी फाइनल रिपोर्ट दे देंगी।

    उन्होंने बताया कि केंद्रीय टीमों का एक दौरा हो चुका है। बाढ़ का पानी उतरने के बाद दूसरा दौरा होगा, उसके बाद टीम अपनी फाइनल रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपेगी जिसके आधार पर सभी मंत्रालय बाढ़ग्रस्त इलाकों के लिए अपने अपने मंत्रालय से संबंधित योजनाओं में पैसा अलॉट करेंगे।

    पंजाब बाढ़ में कितना नुकसान हुआ?

    अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री की आधे घंटे तक चली बैठक में मुख्य सचिव ने एक विस्तृत प्रेसेनटेंशन दी जिसमें सभी विभागों को हुए नुकसान का विवरण दिया गया। उन्होंने बताया कि ज्यादा नुकसान ग्रामीण विकास विभाग का हुआ है।

    2000 से ज्यादा गांवों की गलियां, नालियां और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह से तबाह हो गया है। उन्होंने बताया कि लगभग पांच हजार करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है। दो लाख से ज्यादा कृषि योग्य भूमि पर खड़ी फसलें जलमग्न होने पर सरकार ने फसली मुआवजे के तौर पर दो हजार करोड़ रुपए की मांग की है।

    यह पैसा प्रति एकड़ 50 हजार रुपए के हिसाब से मांगा गया है। जन स्वास्थ्य विभाग की सभी पाइपें जो पीने योग्य पानी को मुहैया करवाती हैं के बर्बाद हो जाने से उनकी पेयजल योजनाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। विभाग ने इसके लिए 1900 करोड़ रुपए की मांग की है।

    ग्रामीण सड़कों को पहुंचे नुकसान के लिए पंजाब मंडी बोर्ड ने 1022 करोड़ रुपए और लोक निर्माण विभाग ने 1920 करोड़ रुपए की मांग की है। जल स्रोत विभाग को इस बाढ़ में काफी नुकसान हुआ है। नदियों के तटबंध टूटने और ड्रेनों व नहरों को हुए नुकसान का आकलन 1520 करोड़ रुपए का किया गया है।

    गांव की डिस्पेंसरियों आदि का 780 करोड़ , कृषि विभाग के दफ्तर, उनके शेड, मंडियों के फड़ आदि का 317 करोड़, स्कूलों की इमारतों का 542 करोड़, बिजली के खंभों, ट्रांसफारमर, लाइनों का नुकसान 103 करोड़,पशुपालन विभाग का 103 करोड़ का नुकसान हुआ है इसके अलावा उच्च शिक्षा विभाग, फूड एंड सप्लाई विभाग , वन विभाग आदि ने भी अपने अपने नुकसान की रिपोर्ट दी है।