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    जीवन रक्षक बन रही है पंजाब की सड़क सुरक्षा फोर्स, रोड हादसों से होने वाली मौतों में आई 25 फीसदी की कमी

    Updated: Tue, 17 Sep 2024 04:53 PM (IST)

    लोगों को सुरक्षित रखने के लिए समर्पित फोर्स की शुरुआत करने वाला पंजाब पहला राज्य बना है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का मानना हैं कि फोर्स लोगों की कीमती जानें बचाने के साथ-साथ यातायात की व्यवस्था को सुचारू बनाने में बहुत बड़ा रोल अदा कर रही है। सड़क सुरक्षा फोर्स 5500 किलोमीटर राज्य और राष्ट्रीय मार्गों को कवर कर रही है।

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    लोगों को सुरक्षित रखने के लिए समर्पित फोर्स की शुरुआत करने वाला पंजाब पहला राज्य बना है।

    डिजिटल टीम, चंडीगढ़। सड़क दुर्घटना में समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से लोगों की बहुमूल्य जानें न जाएं इसके लिए पंजाब में ‘सड़क सुरक्षा फोर्स’ का गठन किया गया है। पंजाब देश का एक मात्र ऐसा राज्य हैं जहां पर सड़क दुर्घटनाओं को घटाने और बहुमूल्य मानवीय जानें बचाने के उद्देश्य से इस तरह की पहली फोर्स स्थापित की गई हो। जिसका असर भी दिखने लगा है। सड़क हादसों से होने वाली मौतों में 25 फीसदी की कमी आई है। आंकड़ों के हिसाब से देखें तो सड़क सुरक्षा फोर्स ने अभी तक 1300 से अधिक कीमती जानें भी बचाई हैं। सड़क हादसों से लोगों की जान बचाने के लिए फोर्स के गठन की परिकल्पना भगवंत सिंह मान ने तब की थी जब वह सांसद थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इसे यथार्थ में बदला।

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    मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि फोर्स के गठन का विचार रातों-रात नहीं आया। सांसद के तौर पर मैं लोकसभा में सड़क हादसों का मुद्दा उठाता था। उस समय सड़क हादसों में राज्य में रोजाना 14 मौतें होती थीं। तब से ही मन में यह विचार चल रहे थे कि अगर मौका मिला तो इन कीमती जानों को बचाने के लिए समर्पित फोर्स बनाऊंगा।’

    सड़क सुरक्षा फोर्स बन रही जीवन रक्षक फोर्स

    लोगों को सुरक्षित रखने के लिए समर्पित फोर्स की शुरुआत करने वाला पंजाब पहला राज्य बना है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान का मानना हैं कि फोर्स लोगों की कीमती जानें बचाने के साथ-साथ यातायात की व्यवस्था को सुचारू बनाने में बहुत बड़ा रोल अदा कर रही है। सड़क सुरक्षा फोर्स 5500 किलोमीटर राज्य और राष्ट्रीय मार्गों को कवर कर रही है। पंजाब में पिछले कुछ दशकों के दौरान यातायात और सड़कीय ढांचे में महत्वपूर्ण विस्तार हुआ है। 65 फीसदी सड़कीय मौतें राष्ट्रीय और राज्य मार्गों पर घटती हैं। इनमें से ज्यादातर घातक हादसे शाम 6:00 बजे से रात 12:00 बजे के बीच घटते हैं। जबकि इस दौरान सड़कों पर पुलिस की मौजुदगी बहुत कम रहती थी।

    144 पेट्रोलिंग वाहन रहते हैं मुस्तैद

    शराब पीकर गाड़ी चलाने और तेज रफ्तार वाहन को रोकने के लिए विशेष साजो-सामान से लैस 144 पेट्रोलिंग वाहन (गश्त करने वाले वाहन) इन रूटों पर अब तैनात किए गए। हरेक वाहन 30 किलोमीटर की दूरी को कवर कर रहा है। लोगों की जान बचाने व यातायात को सुचारू रखने के लिए नए भर्ती हुए पुलिस कर्मचारियों को उचित प्रशिक्षण भी दिया गया है।

    घायलों को उपलब्ध कराया जा रहा इमरजेंसी इलाज

    अपनी किस्म की पहली विशेष फोर्स के वाहनों में किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को इमरजेंसी इलाज मुहैया करवाने के लिए पूरी मेडिकल किट भी है। अपेक्षित डाक्टरी सहायता मिलने को सुनिश्चित बनाने के लिए फोर्स को ट्रॉमा सैंटरों के साथ भी जोड़ा जा रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान कहते हैं सड़क सुरक्षा फोर्स के कामकाज की हर माह समीक्षा भी की जा रही है।

    महिलाएं भी हैं फोर्स में

    सड़क सुरक्षा फोर्स में अहम पहलू यह भी हैं कि इसमें महिलाओं को भी शामिल किया गया गया। सड़क सुरक्षा फोर्स के वाहनों के 90 चालक लड़कियां हैं। सड़क दुर्घटना में महिलाओं के घायल होने के सूरत में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही है। इसलिए खास तौर पर फोर्स में महिलाओं को भी लिया गया है। इन्हें भी पुरुषों की तरह ट्रेनिंग दी गई हैं।