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    राजकुमार राव ने जालंधर कोर्ट में किया सरेंडर, HC ने पुलिस से मांगी रिपोर्ट; क्या है पूरा मामला?

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 10:54 AM (IST)

    अभिनेता राजकुमार राव ने 2017 की फिल्म बहन होगी तेरी से जुड़े एक मामले में जालंधर कोर्ट में आत्मसमर्पण किया जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। यह मामला फिल्म के एक विवादास्पद पोस्टर से संबंधित है जिसमें राजकुमार राव भगवान शिव के रूप में मोटरसाइकिल पर बैठे दिखाई दिए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले में पंजाब पुलिस से जांच रिपोर्ट मांगी है। अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी।

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    राजकुमार राव को धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में राहत, हाईकोर्ट ने पुलिस से मांगी स्टेटस रिपोर्ट

    राज्य ब्यूरो,जागरण: चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अभिनेता राजकुमार राव के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कराने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब पुलिस से जालंधर पुलिस आयुक्त के शपथपत्र के माध्यम से जांच की स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

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    यह मामला वर्ष 2017 की फिल्म "बहन होगी तेरी" के प्रचार के दौरान एक विवादास्पद पोस्टर से जुड़ा है, जिसमें राजकुमार राव भगवान शिव के रूप में मोटरसाइकिल पर बैठे नजर आए थे।

    गैर-जमानती वारंट भी किया गया जारी

    इस मामले में धारा 295ए (धार्मिक भावनाएं भड़काने की मंशा से किया गया कृत्य), धारा 120बी (आपराधिक साजिश) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके चलते अभिनेता के खिलाफ गैर-जमानती वारंट भी जारी किए गए थे।

    हाल ही में राजकुमार राव ने जालंधर की एक अदालत में आत्मसमर्पण किया, जहां उन्हें जमानत दे दी गई। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर एफआईआर रद्द करने की मांग की।

    याचिका में कहा गया है कि धारा 295ए के तहत कार्रवाई के लिए ‘जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण मंशा’ जरूरी होती है, जो इस मामले में कहीं से भी प्रमाणित नहीं होती।

    'अभिनेता महज एक फिल्मी किरदार'

    याचिका में आगे कहा गया है कि अभिनेता ने महज एक फिल्मी किरदार निभाया, जिसमें उनका पात्र एक जागरण मंडली में भगवान शिव की भूमिका निभाता है, और यह पूरी तरह एक कलात्मक प्रस्तुति है। इसके पीछे किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोई मंशा नहीं थी।

    राजकुमार राव की ओर से दलील दी गई कि फिल्म "बहन होगी तेरी" को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड सर्टिफिकेट मिला था, जो यह दर्शाता है कि फिल्म की सामग्री कानूनी रूप से आपत्तिजनक नहीं है। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुरक्षित है।

    न्यायमूर्ति एनएस शेखावत ने मामले में नोटिस जारी करते हुए कहा, "स्टेटस रिपोर्ट जालंधर पुलिस आयुक्त द्वारा शपथपत्र के माध्यम से अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत की जाए।"मामले की अगली सुनवाई अब 8 अगस्त 2025 को होगी।