'एससी कमीशन जांच में दखल न दे', राजा वड़िंग मामला में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को भेजा नोटिस
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने पंजाब सरकार को राजा वड़िंग मामले में अनुसूचित जाति आयोग की जांच में हस्तक्षेप न करने का निर्देश दिया है। अदालत ने आयोग को स्वतंत्र रूप से जांच करने की अनुमति देने की बात कही है। उच्च न्यायालय ने कहा कि आयोग एक संवैधानिक निकाय है और उसे बिना किसी दबाव के अपना कार्य करने का अधिकार है।

राजा वड़िंग मामला में हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को भेजा नोटिस, फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष और लुधियाना से सांसद अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ ही कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग इस मामले की किसी भी प्रकार की जांच या कार्यवाही में फिलहाल दखल नहीं देगा।
याचिका में पंजाब सरकार, पंजाब अनुसूचित जाति आयोग और उसके चेयरमैन जसवीर सिंह गढ़ी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं। वड़िंग ने आरोप लगाया है कि आयोग ने अपनी संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन करते हुए उनके खिलाफ चल रही एफआइआर में न सिर्फ दखल दिया, बल्कि चुनावी मौसम में ‘सोची-समझी राजनीतिक रणनीति’ के तहत उनके खिलाफ मीडिया ट्रायल चलाया।
याचिका के अनुसार मामला 11 नवंबर 2025 को तरनतारन उपचुनाव से जुड़ा है। वड़िंग ने 3 नवंबर को एक सार्वजनिक सभा में भाषण दिया, जिसमें उन्होंने पंजाब के कई नेताओं का जिक्र किया। विपक्षी पार्टियों ने इस भाषण को ‘जानबूझ कर तोड़-मरोड़कर’ पेश किया और उसी दिन उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। 4 नवंबर को साइबर क्राइम थाना कपूरथला में एससी/एसटी एक्ट व अन्य आरोप के तहत एफआइआर दर्ज की गई।
वड़िंग का आरोप है कि एफआइआर के बाद अनुसूचित जाति आयोग ने संज्ञान लेकर कार्रवाई शुरू कर दी और रिटर्निंग आफिसर व डीएसपी कपूरथला को तलब कर लिया। आयोग के चेयरमैन पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस पर दबाव बनाकर वड़िंग की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने की कोशिश की और पूरी कार्यवाही को इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया, जिससे चुनावी माहौल में उनकी राजनीतिक छवि को नुकसान पहुंचे।
याचिका में कहा गया है कि आयोग का यह हस्तक्षेप कानूनन गलत है, क्योंकि आयोग किसी भी चल रही पुलिस जांच में दखल नहीं दे सकता। वड़िंग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि मीडिया ट्रायल आरोपित की “निर्दोषता की कानूनी धारणा” को नष्ट कर देता है।
वड़िंग हाई कोर्ट से राहत मांगते हुए आयोग की 3 और 4 नवंबर की कार्यवाहियों को रद करने, आयोग को एफआइआर की जांच में दखल देने से रोकने और चल रही सभी कार्रवाइयों पर रोक लगाने की मांग की।

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