फिट रहेंगे तभी पढ़ेंगे: सरकारी स्कूलों में बच्चों को नाश्ते में मिलेगा दूध और केला, योजना पर काम कर रही पंजाब सरकार
पंजाब सरकार तमिलनाडु की प्रेरणा से सरकारी स्कूलों में बच्चों को सुबह नाश्ते में दूध और केला देने की योजना बना रही है। इससे लगभग 18 लाख बच्चों को फायदा होगा। यह सुविधा मिड-डे मील के अलावा होगी और सरकार पर लगभग 800 करोड़ रुपये का वार्षिक खर्च आएगा।
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सरकारी स्कूलों में बच्चों को नाश्ते में मिलेगा दूध और केला। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। तमिलनाडु की पहल से प्रेरित होकर पंजाब सरकार अब राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को सुबह के नाश्ते में दूध और केला देने की योजना बना रही है। इस योजना के तहत राज्य के 19,640 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे करीब 18 लाख बच्चों को रोजाना 150 ग्राम दूध और एक केला दिया जाएगा।
यह सुविधा मिड-डे मील के अतिरिक्त होगी। राज्य में इस समय लगभग 1.60 लाख बच्चे बाल वाटिकाओं, 10.8 लाख बच्चे प्राथमिक (कक्षा 1 से 5) और 6.5 लाख बच्चे उच्च प्राथमिक (कक्षा 6 से 8) में पढ़ते हैं। राज्य सरकार का उद्देश्य है कि बच्चों को पर्याप्त पोषण मिल सके, जिससे उनका स्वास्थ्य सुधरे और स्कूलों में ड्रापआउट दर घटे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अगस्त के अंतिम सप्ताह में चेन्नई के दौरे पर थे और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के निमंत्रण पर वहां आयोजित मुख्यमंत्री नाश्ता योजना के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। इस अवसर पर मान ने कहा था कि वह पंजाब में भी इसी तरह की योजना लागू करने पर विचार करेंगे।
तमिलनाडु की तर्ज पर काम करेंगे मान सरकार
तमिलनाडु सितंबर 2022 में ऐसा कार्यक्रम शुरू करने वाला देश का पहला राज्य था, जहां सरकारी प्राथमिक स्कूलों के छात्रों को मुफ्त नाश्ता दिया जाता है। पंजाब के शिक्षा विभाग ने अब इस दिशा में प्रस्ताव तैयार किया है, जो फिलहाल राज्य सरकार के उच्च स्तर पर विचाराधीन है। 800 करोड़ आएगा वार्षिक खर्च नाश्ता योजना से राज्य सरकार पर लगभग 800 करोड़ का वार्षिक खर्च आएगा। सरकार अगली शैक्षणिक सत्र से यह सुविधा शुरू करना चाहती है।
शुरुआत में यह योजना प्राथमिक वर्गों से या चरणबद्ध तरीके से लागू की जा सकती है। वर्तमान में राज्य सरकार सप्ताह में एक बार बच्चों को केला जैसे मौसमी फल भी देती है। केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के तहत फिलहाल स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील दिया जाता है, जिसमें दाल-चपाती, राजमां चावल, मौसमी सब्जियां, कढ़ी-चावल शामिल हैं।
बच्चों के स्वास्थ में बड़ा कदम
वर्ष 2024-25 में औसतन 81 फीसदी छात्र इस योजना का लाभ ले रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 ने भी स्कूल के बच्चों को नाश्ता उपलब्ध कराने की सिफारिश की है।
इस दिशा में छत्तीसगढ़, राजस्थान, केरल और गुजरात जैसे कई राज्य भी केंद्र से सहायता की मांग कर चुके हैं। यदि पंजाब में यह योजना लागू होती है, तो यह बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के साथ-साथ शिक्षा प्रणाली को भी सुदृढ़ करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।

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