पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर की पत्नी की हत्या का रहस्य चार से बरकरार, अब बीईओएसपी से उम्मीद
पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बीबी गोयल की पत्नी सीमा गोयल की हत्या का रहस्य चार साल बाद भी बरकरार है। पुलिस अब टेक्नोलॉजी का सहारा ले रही है जिसमें ब्रेन इलेक्ट्रिकल आस्सिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (बीईओएसपी) शामिल है। पहले किए गए पालीग्राफ टेस्ट और नार्को टेस्ट के नतीजे निर्णायक नहीं रहे। पुलिस को उम्मीद है कि बीईओएसपी से हत्या की गुत्थी सुलझ सकती है।

मनोज बिष्ट, चंडीगढ़। पंजाब विश्वविद्यालय कैंपस में प्रोफेसर बीबी गोयल की पत्नी सीमा गोयल (60) की हत्या का रहस्य तीन साल दस महीने बाद भी बरकरार है। पुलिस को अब तक न कोई हथियार मिला, न ही कोई डीएनए या फिंगरप्रिंट साक्ष्य। जांच शुरुआती दौर में ठहर-सी गई थी। अब पुलिस आधुनिक फाॅरेंसिक तकनीकों से इस गुत्थी को सुलझाने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने प्रो. गोयल और पारुल का ब्रेन इलेक्ट्रिकल आस्सिलेशन सिग्नेचर प्रोफाइलिंग (बीईओएसपी) कराने का निर्णय लिया है।
क्या है बीईओएसपी
बीईओएसपी को ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग के नाम से भी जाना जाता है। यह एक न्यूरो-मनोवैज्ञानिक तकनीक है। यह तकनीक इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी यानी ईईजी (दिमागी तरंगों) के जरिये यह पता लगाने की कोशिश करती है कि किसी व्यक्ति के दिमाग में अपराध से जुड़ा अनुभवात्मक ज्ञान मौजूद है या नहीं। यह टेस्ट दिल्ली के रोहिणी में नेशनल फारेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में होगा।
अभी तक इसके लिए तारीख नहीं मिल पाई है। तारीख मिलने के तुरंत बाद पुलिस यह टेस्ट कराएगी। इससे पहले पुलिस ने प्रो. गोयल और उनकी बेटी पारुल का पालीग्राफ टेस्ट कराया, लेकिन नतीजे निर्णायक नहीं रहे। मार्च 2023 में पारुल का फारेंसिक साइकोलाजिकल असेसमेंट दिल्ली के रोहिणी स्थित नेशनल फारेंसिक साइंसेज यूनिवर्सिटी में हुआ, जिसकी रिपोर्ट अब तक लंबित है।
दिसंबर 2021 में पुलिस ने कोर्ट से प्रो. गोयल का नार्को टेस्ट कराने की अनुमति ली थी, मगर मार्च 2022 में गुजरात की फारेंसिक लैब के डाक्टरों ने उन्हें स्वास्थ्य कारणों से अयोग्य घोषित कर दिया।
क्या हुआ था घटना वाले दिन
4 नवंबर 2021 (दीवाली वाले दिन सुबह) दूधवाले की सूचना पर प्रो. बीबी गोयल ने घर का मुख्य दरवाजा बाहर से बंद पाया। जब भीतर पहुंचे तो पत्नी सीमा गोयल का शव ग्राउंड फ्लोर के कमरे में मिला। उनके हाथ-पांव कपड़े से बंधे हुए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाकर हत्या की पुष्टि हुई और शरीर पर 5-7 चोटों के निशान पाए गए। जांच में कोई फोर्स्ड एंट्री नहीं मिली, जबकि बेडरूम और किचन के दरवाजों की जाली अंदर से काटी गई थी। इससे पुलिस ने शुरू से ही अंदरूनी भूमिका पर शक जताया।
जांच में उलझनें
हत्या के बाद से न कोई फिंगरप्रिंट, न डीएनए और न ही कोई हथियार बरामद हो सका।
घर में लगे सीसीटीवी कैमरों में भी किसी बाहरी व्यक्ति की एंट्री कैद नहीं हुई।
सीमा गोयल का मोबाइल फोन आज तक बरामद नहीं हुआ।
बार-बार प्रो. गोयल और उनकी बेटी पारुल से पूछताछ की, मगर कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा।
पारिवारिक आरोप और अदालत की निगरानी
सीमा गोयल के भाई ने पुलिस जांच पर सवाल उठाते हुए अगस्त 2022 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया कि सीमा को ईसाई होने के कारण लगातार प्रताड़ित किया जाता था और उनके वैवाहिक रिश्ते तनावपूर्ण थे। अदालत ने पुलिस से ताजा स्टेटस रिपोर्ट मांगी।
अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं?
घटना स्थल से कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं मिला।
परिवार के बयानों और हालात से संदेह गहराया, लेकिन कानूनी रूप से पर्याप्त आधार नहीं बना।पालीग्राफ और अन्य साइकोलाजिकल टेस्ट निर्णायक नहीं रहे।
लंबित फारेंसिक रिपोर्टों ने जांच को धीमा कर दिया।
पुलिस की उम्मीदें
जांच अधिकारी मानते हैं कि इस केस में अब एकमात्र उम्मीद आधुनिक तकनीकों बीइओएस प्रोफाइलिंग और मनोवैज्ञानिक परीक्षणों से ही है। पुलिस को भरोसा है कि इन दिमागी तरंगों और मनोवैज्ञानिक विश्लेषणों से ऐसा सुराग मिल सकता है जो सीमा गोयल की हत्या की गुत्थी को तीन साल बाद सुलझा सके।
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