पौंग के इतिहास की सबसे ज्यादा बारिश, BBMB चेयरमैन बोले- डैम को खाली करने को लेकर संकीर्णता छोड़ें पंजाब
पंजाब में बाढ़ के लिए अब तक राज्य के लोग जिस प्रकार से बीबीएमबी को दोषी ठहरा रहे थे इस बीच मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 1988 के बाद पंजाब में चार बार ज्यादा बारिश हुई है लेकिन उस समय भी इतना पानी कभी नहीं आया। उन्होंने बताया कि 1988 में पौंग में 7.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया था जो इस साल 11.7 बीसीएम आया है।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पौंग के कैचमेंट एरिया में अब तक के इतिहास की सबसे ज्यादा बारिश ने पंजाब को बाढ़ की स्थिति में पहुंचाया है। सतलुज और ब्यास में आई बाढ़ को लेकर भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड के चेयरमैन मनोत्र त्रिपाठी ने आज मीडिया कर्मियों के सामने स्थिति स्पष्ट करते हुए चेताया कि बांध में एक सीमित पानी की भंडारण क्षमता है अगर उससे ज्यादा पानी आएगा तो वह डाउन स्ट्रीम में छोड़ना ही पड़ेगा, इसलिए नदियों के बांध पक्के करना, उनकी सफाई आदि करवाना राज्य सरकार की जिम्मेवारी है।
पंजाब में बाढ़ के लिए अब तक राज्य के लोग जिस प्रकार से बीबीएमबी को दोषी ठहरा रहे थे, के बीच मनोज त्रिपाठी ने बताया कि 1988 के बाद पंजाब में चार बार ज्यादा बारिश हुई है लेकिन उस समय भी इतना पानी कभी नहीं आया। उन्होंने बताया कि 1988 में पौंग में 7.9 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी आया था जो इस साल 11.7 बीसीएम आया है।
इसके अलावा 2023 में 9.5 और 2019 में 5.5 बीसीएम पानी आया। उन्होंने बताया कि बांध की क्षमता ही 5.5 बीसीएम की है। इससे ज्यादा आएगा तो नीचे छोड़ना ही पड़ेगा। इसी तरह भाखड़ा में इस साल 9.11 बीसीएम, 1988 में 9.25 बीसीएम और 2023 में 9.18 बीसीएम पानी आया था।
मनोज त्रिपाठी ने कहा कि डैम को भरते समय में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग,ग्लोबल फारकास्ट सिस्टम आदि से जानकारी लेकर पानी को छोड़ने या स्टोर करने के बारे में सभी राज्यों के साथ मिलकर निर्णय लिया जाता है। इन संस्थानों का कहना है कि 15 सितंबर तक ब्यास और सतलुज के कैचमेंट एरिया में ज्यादा बड़ी बरसात नहीं है लेकिन फिर भी हम भाखड़ा और पौंग डैम के स्तर को कुछ नीचे रखना चाहेंगे।
उन्होंने बताया कि पानी छोड़ने से पहले संबंधित जिलों को 24 घंटे पहले सूचित किया जाता है लेकिन अब नदियों के तटबंधों को मजबूत करना तो राज्य सरकार का काम है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार से इस बार बारिश हुई है अगर ये डैम नहीं होते तो जून से ही पंजाब में बाढ़ आ गई होती। उन्होंने बताया कि पौंग के कैचमेंट एरिया में एक दिन में सबसे ज्यादा 2.20 लाख क्यूसिक पानी आया जबकि भाखड़ा में 1.10 लाख क्यूसिक पानी आया।
डैमों में सिल्ट बढ़नी बड़ी चुनौती
पौंग और भाखड़ा में बढ़ रही सिल्ट डैमों में पानी को स्टोर करने के मामले में एक और बड़ी चुनौती की ओर इशारा करते हुए मनोज त्रिपाठी ने कहा कि इस मामले में राज्य सरकारें संकीर्णता दिखा रही हैं। मुझे लगता है कि इस बार की बाढ़ इस संकीर्णता को खत्म करने में एक अच्छा औजार साबित होगी।
उन्होंने बताया कि भाखड़ा की कुल क्षमता का 25 प्रतिशत सिल्ट है और यह तभी दूर होगी जब हम डैम को खाली करने की ओर जाएंगे। मनाेज त्रिपाठी अप्रैल 2025 में हरियाणा को पानी देने के संदर्भ में उठे सवालों का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि हालांकि अगर उस समय उन्हें पानी दे भी देते तो तीन फुट से ज्यादा डैम नीचे नहीं जाता लेकिन जितना पानी इस समय आ रहा है उसके अनुपात में वह बहुत ही कम है। उन्होंने बताया कि सभी संबंधित राज्य मानसून से पहले डैम को न्यूनतम लेवल तक ले जाने नहीं देते।
उनके मन में आशंका रहती है कि अगर ऐसा हुआ और मानसून धोखा दे गया तो क्या होगा? बीबीएमबी के चेयरमैन कहा कि आजकल हमारे पास मौमस की बहुत अच्छी जानकारी देने वाला सिस्टम है। इस साल भी मौसम विभाग ने हमें अप्रैल में ही बता दिया था कि बारिश ज्यादा होगी लेकिन फिर भी हम डैम को न्यूनतम लेवल तक नहीं लेकर जा सके।
मनोज त्रिपाठी ने बताया कि सिल्ट को खत्म करने के लिए इसे निकालना जरूरी है। मैंने पिछले साल हिमाचल प्रदेश सरकार से डिसिल्टिंग की आक्शन करने को कहा था लेकिन माइनिंग विभाग ने कोई ऐतराज लगा दिया।
अब वह तैयार हो गए हैं। उन्होंने बताया कि गहरी डिसिल्टिंग के लिए जहां जल शक्ति मंत्रालय के साथ मिलकर एक नीति बनाई जा रही है वहीं आस्ट्रेलिया की कंपनी से बात भी की जा रही है जो ऐसा काम करती हैं। अगले हफ्ते उनकी टीम यहां आ रही है।
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