Punjab Flood: सरहदी जिलों में बाढ़ के खतरा, प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों में जुटी NDRF और सेना की टीमें
फाजिल्का में सतलुज नदी का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। 32 से 34 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं खासकर सीमा से सटे ऊंचे गांव तेजा रुहेला में पानी घरों में घुस गया है। हुसैनीवाला हेड से 3.30 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। सेना और एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्य में जुटी हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा रहा है।

जागरण संवाददाता, फाजिल्का। सतलुज नदी का जलस्तर लगातार बढ़ने से सरहदी जिलों में बाढ़ का खतरा और गंभीर हो गया है। बुधवार रात से वीरवार सुबह तक एक फीट तक पानी बढ़ने से हालात बिगड़ गए। अब तक 32 गांव बाढ़ की चपेट में थे, जिनकी संख्या बढ़कर 34 हो गई है।
सरहद से सटे सबसे ऊंचे गांव तेजा रुहेला में भी पानी घरों तक पहुंच चुका है। गांव की गलियां पानी में डूब चुकी हैं और नदी की लहरें तेज होती जा रही हैं।
हुसैनीवाला हेड से छोड़े गए करीब 3.30 लाख क्यूसेक पानी का असर गुरुवार दोपहर तक साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। प्रशासनिक अमला लगातार प्रभावित गांवों में पहुंचकर लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील कर रहा है। खासकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को तुरंत गांव से निकालने की कोशिश की जा रही है। इसके बावजूद कई लोग अपने घर और मवेशियों को छोड़ने को तैयार नहीं हैं, जिसके चलते प्रशासन को रेस्क्यू में मुश्किलें आ रही हैं।
सुबह से ही सेना के जवान प्रभावित इलाकों में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तैनात हैं। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि पानी की धार काफी तेज है और नदी का स्तर लगातार बढ़ रहा है, ऐसे में गांवों में ठहरना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।
एनडीआरएफ की टीमें भी प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचने लगी हैं और नावों के जरिए लोगों को राहत कैंपों तक पहुंचाने का काम चल रहा है। जिला प्रशासन ने राहत कैंपों में खाने-पीने का पर्याप्त इंतजाम करने का दावा किया है। अधिकारियों का कहना है कि सभी गांवों पर नजर रखी जा रही है।
गांव तेजा रुहेला के 60 वर्षीय हरनाम सिंह ने बताया कि उन्होंने ऐसा पानी पहले कभी नहीं देखा। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि पानी के दबाव में और बढ़ोतरी हो सकती है। ग्रामीणों से अपील है कि वे जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों पर पहुंचे ताकि किसी बड़ी अनहोनी से बचा जा सके।
सतलुज किनारे बने बांध में कई जगहों पर रिसाव की सूचना मिलने के बाद गुरुवार सुबह से ही प्रशासनिक अमला अलर्ट हो गया। जगह-जगह ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लगाकर रेत से भरी बोरियों की सप्लाई की जा रही है। बांध को मजबूत करने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारी तैनात हैं और ग्रामीण भी मदद के लिए आगे आए हैं। अधिकारियों का कहना है कि रिसाव वाली जगहों को जल्द से जल्द सुरक्षित किया जा रहा है ताकि पानी का दबाव गांवों तक न पहुंचे।
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