Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गुरदासपुर में बारिश की भेंट चढ़ी बच्चों की पढ़ाई, पानी में भीगी किताबें और फर्नीचर; जानिए कब खुलेंगे स्कूल

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 02:58 PM (IST)

    गुरदासपुर में बाढ़ ने स्कूलों को बुरी तरह प्रभावित किया है जिससे शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है। स्कूलों में पानी भरने से रिकॉर्ड किताबें और फर्नीचर नष्ट हो गए हैं। शिक्षा विभाग स्थिति को सामान्य करने में जुटा है और जल्द ही स्कूलों को फिर से खोलने की उम्मीद है। अभिभावक बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंतित हैं।

    Hero Image
    गुरदासपुर में बारिश की वजह से बच्चों की पढ़ाई बाधित, भीग गई किताबें (फोटो: जागरण)

    गगनदीप सिंह बावा, गुरदासपुर। गुरदासपुर जिले में हाल ही में आई बाढ़ ने भयानक तबाही मचाई है। जिले के कई गांवों और कस्बों में बाढ़ का पानी भरने से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

    हालांकि, बाढ़ का पानी अब धीरे-धीरे निकल रहा है और हालात सामान्य होने की दिशा में बढ़ रहे हैं, लेकिन बाढ़ के दुष्परिणाम अभी भी लोगों के सामने चुनौती बने हुए हैं। खास तौर पर जिले की शिक्षा व्यवस्था को इस प्राकृतिक आपदा ने गहरी चोट पहुंचाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्कूलों में पानी घुसने से रिकार्ड, किताबें, फर्नीचर और अन्य सामान को भारी नुकसान हुआ है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग स्थिति को नियंत्रित करने में जुटा है, लेकिन अभी भी 94 स्कूलों में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है।

    इन स्कूलों को 20 सितंबर तक बंद रखने का फैसला लिया गया है। इनमें सबसे ज्यादा 64 स्कूल ब्लाक दोरांगला के हैं। इसके अलावा ब्लाक गुरदासपुर-2, डेरा बाबा नानक-1 और डेरा बाबा नानक-2 के स्कूल भी शामिल हैं।

    बाढ़ के कारण गुरदासपुर के निचले इलाकों में स्थिति सबसे ज्यादा गंभीर रही। कई गांवों में सड़कें, घर, और सार्वजनिक भवन पानी में डूब गए। स्कूलों की इमारतें भी इस आपदा से अछूती नहीं रहीं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार जिले के कई स्कूलों में पानी भरने से कक्षाओं में कीचड़ जमा हो गया, दीवारें क्षतिग्रस्त हो गईं।

    स्कूलों में रखे महत्वपूर्ण रिकार्ड और अन्य दस्तावेज पानी में भीगकर नष्ट हो गए। इसके अलावा, बच्चों की किताबें, कॉपियां, और स्कूलों का फर्नीचर, जैसे डेस्क, कुर्सियां, और ब्लैकबोर्ड भी बाढ़ की भेंट चढ़ गए। कुछ स्कूलों में कंप्यूटर लैब और लाइब्रेरियों को भी भारी नुकसान पहुंचा है, जिससे पढ़ाई का माहौल पूरी तरह बाधित हो गया है।

    शिक्षा विभाग की ओर से बाढ़ प्रभावित स्कूलों की स्थिति का आकलन करने के लिए टीमें गठित की गई हैं। इन टीमों ने स्कूलों का दौरा कर नुकसान का जायजा लिया और मरम्मत कार्य शुरू करवाया गया है।

    हालांकि कई स्कूलों में अभी भी पानी निकालने, सफाई और बुनियादी सुविधाओं को बहाल करने का काम चल रहा है। विभाग की प्राथमिकता बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा को जल्द से जल्द पटरी पर लाना है। जिन स्कूलों में स्थिति सामान्य हो चुकी है, वहां पढ़ाई शुरू कर दी गई है, लेकिन 94 स्कूलों में अभी व्यवस्थाएं पूरी तरह ठीक नहीं हो पाई हैं, इसलिए इन्हें 20 सितंबर तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है।

    इन बंद स्कूलों में शिक्षकों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए गए हैं। शिक्षक स्कूलों की सफाई, मरम्मत, और व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में सहयोग कर रहे हैं ताकि जल्द से जल्द पढ़ाई शुरू हो सके। हालांकि, अभिभावकों और छात्रों में इस बात को लेकर चिंता बनी हुई है कि सिलेबस और परीक्षाओं का नुकसान कैसे पूरा होगा।

    प्रभावित इलाकों के लोगों का कहना है कि बाढ़ ने न केवल उनकी आजीविका, बल्कि बच्चों की शिक्षा पर भी गहरा प्रभाव डाला है। अभिभावक हरजिंदर सिंह ने बताया कि उनके बच्चों का स्कूल पिछले लंबे समय से बंद है। किताबें और कापियां खराब हो गई हैं। वह चाहते हैं कि जल्द से जल्द पढ़ाई शुरू हो ताकि बच्चों का भविष्य प्रभावित न हो।

    जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग स्थिति को जल्द सामान्य करने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। बाढ़ के बाद की चुनौतियों से निपटने के लिए सामुदायिक सहयोग भी लिया जा रहा है। उम्मीद है कि 20 सितंबर तक बंद स्कूलों में व्यवस्थाएं दुरुस्त हो जाएंगी और बच्चे फिर से अपनी पढ़ाई शुरू कर सकेंगे।

    इस बीच, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास कार्य भी जोर-शोर से चल रहे हैं। जिले के लोग इस आपदा से उबरने के लिए एकजुट होकर काम कर रहे हैं, लेकिन शिक्षा व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अभी और समय की जरूरत है।