Punjab News: बाढ़ प्रभावित लोगों ने की किसानों से मुलाकात, बोले- सीधे हमारे खातों में आए राहत का पैसा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरदासपुर में बाढ़ प्रभावित किसानों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनीं। किसानों ने फसल के नुकसान और घरों में रेत भरने की बात कही। उन्होंने सरकार से उचित मुआवजे की मांग की ताकि वे अपनी जिंदगी अच्छी तरह गुजार सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और उनके सुझावों को नोट किया।

जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हवाई सर्वेक्षण करने के बाद गुरदासपुर के तिब्बड़ी कैंप में बाढ़ प्रभावित किसानों से मिले और लगभग आधा घंटा उनकी समस्याएं सुनीं। प्रधानमंत्री की ऐसी रही किसानों की बातचीत
लजवंत सिंह, गांव मचरावां, जमीन-10 एकड़ ठेके पर प्रधानमंत्री जी! 1988 के बाद पंजाब में बाढ़ की यह सबसे बड़ी मार है। खेतों में चार से पांच फीट तक रेत भर गई है। लोगों के घर टूट गए हैं और फसलें पूरी तरह से तबाह हो गई हैं। इसका पूरी तरह से सर्वे कराकर पैसे सीधे किसानों के खाते में डाले जाएं।
हम आपके साथ हैं। आपका सुझाव नोट कर लिया गया है। कोशिश की जाएगी कि किसानों के खातों में सीधा पैसा दिया जाए।
बख्शीश सिंह, गांव ठेठरके, जमीन-11.5 एकड़ प्रधानमंत्री जी! डेरा बाबा नानक कारिडोर के पास दो जगह धुस्सी बांध टूटा जिससे लगभग 15 किलोमीटर इलाके में पानी भर गया। लोगों की फसलें तबाह हो गईं। घर क्षतिग्रस्त हो गए। कई पशुओं की मौत हो गई। कई लोगों के पोल्ट्री फार्म नष्ट हो गए। मेरा अपना साढ़े दस एकड़ धान व एक एकड़ गोभी की फसल बर्बाद हो गई। हमें इसका मुआवजा सीधा खातों में दिया जाए।
मैं आपका दुख समझता हूं। हम आपके साथ हैं और आपको पूरा मुआवजा देने का प्रयास किया जाएगा।
पलविंदर सिंह, गांव मम्मी चकरंगा, जमीन-डेढ़ एकड़ प्रधानमंत्री जी! मेरी डेढ़ एकड़ जमीन में रेत भरने के कारण फसल खत्म हो गई और घर की दीवारें बैठ गई हैं। हमारा गांव मम्मी चकरंगा रावी दरिया के पार है जिससे एक किलोमीटर आगे पाकिस्तान की हद शुरू हो जाती है। हमने पहले 1988 और फिर 1995 की बाढ़ की मार भी झेली है। रावी दरिया के मकौड़ा पत्तन पर पुल बनने के लिए राशि जारी होने के बावजूद निर्माण नहीं हो रहा। जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई हो चुकी है। बाढ़ के दौरान 11 दिनों तक हमारा भारत से संपर्क टूटा रहा।
आपकी बात नोट कर ली गई है। आपकी मुश्किलों को दूर कराने का प्रयास किया जाएगा।
राजेश ठाकुर, गांव झबकरा, जमीन-45 एकड़ ठेके पर, 15 एकड़ अपनी प्रधानमंत्री जी! आपने अमेरिका को लेकर जो स्टैंड लिया, उसके लिए आपका आभार। मैं डेयरी फार्मिंग व किसानी का काम करता हूं। 15 एकड़ हमारी पुश्तैनी जमीन है जबकि 45 एकड़ ठेके पर लेकर खेती करते हैं। बाढ़ के कारण सारी फसल तबाह हो गई इसलिए हमें आगे की जिंदगी अच्छी तरह गुजारने के लिए उचित मुआवजा मिलना चाहिए।
हम इस कठिन घड़ी में आपके साथ हैं। सभी किसानों को फसल का उचित मुआवजा दिया जाएगा।
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