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    गुरदासपुर में बाढ़ के कहर में फंसी बारात, सेना ने दुल्हे के समेत 11 रिश्तेदारों को किया रेस्कयू

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 03:26 PM (IST)

    गुरदासपुर के चौंतरा गांव में रावी नदी में बाढ़ आने से एक युवक की शादी में बाधा आ रही थी। सेना की 270 इंजीनियर रेजीमेंट के जवानों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दूल्हे और उसके 11 रिश्तेदारों को सुरक्षित निकाला। रेस्क्यू टीम ने दो अन्य लोगों को भी बचाया जो नोमनी नाले में फंस गए थे

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    गुरदासपुर में बाढ़ के दौरान सैनिकों ने दूल्हे सहित 11 रिश्तेदारों को किया रेस्क्यू (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, गुरदासपुर। गांव चौंतरा के एक युवक की शादी थी, लेकिन बारात से ठीक एक दिन पहले गांव में फिर से रावी दरिया का पानी भरना शुरू हो गया। गांव के आस-पास पांच फुट तक पानी जमा हो गया। ऐसे में परिवार को चिंता हो गई कि बेटे की शादी कैसे होगी और बारात कैसे पहुंचेगी।

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    इस बारे में गांव आलेचक्क के रिटायर सूबेदार गुरप्रीत सिंह के सहयोग से राहत कार्य चला रहे सेना की 270 इंजीनियर रेजीमेंट के जवानों को इसकी सूचना मिली तो वे तुरंत किश्ती से गांव चौंतरा पहुंचे और दूल्हे सहित उसके 11 रिश्तेदारों को गांव से निकालकर पैलेस पहुंचाया।

    रेस्क्यू कार्य में जुटे सैनिकों ने बताया कि वीरवार रात को गांव चौंतरा के दो लोग नोमनी नाले के पानी की बहाव की चपेट में आ गए थे। उन्हें भी पानी से सही सलामत निकालकर रात 11.30 बजे ठाकुरपुर और शुक्रवार सुबह चौंतरा तक पहुंचाया गया।

    ज्ञात रहे कि सैनिकों की इस टीम के सदस्यों ने जवाहर नवोदया स्कूल में फंसे 381 बच्चों में से 130 को रेस्क्यू किया था। यह रेजीमेंट अब तक 600 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू कर चुकी है। इस यूनिट ने 26 अगस्त से गांव आलेचक्क में डेरा जमा रखा है। रिटायर सूबेदार गुरप्रीत सिंह ने इन्हें ठहरने के लिए अपनी इमारत दे रखी है।

    इनके लिए लंगर पानी की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी उन्हीं ने उठा रखी है। गुरप्रीत सिंह खुद भी टीम के साथ राहत कार्यों के लिए जाते हैं। वहीं यूनिट के जवान गांव आलेचक्क के लोगों की तरफ से तैयार लंगर, राशन, चारा और दवाएं लेकर राहत कार्यों के लिए दूर-दराज के इलाके में जाते हैं।

    ज्ञात रहे कि गुरदासपुर का गांव आलेचक्क इन दिनों उन सैनिकों की रिहायश बना हुआ है, जो बाढ़ पीड़ितों के लिए रेस्क्यू आपरेशन चला रहे हैं। यह सैनिक व गांव के युवा बाढ़ में फंसे लोगों के लिए राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं।

    इन सैनिकों के रहने के लिए गांव के पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह ने अपनी जगह उपलब्ध करा रखी है। वह खुद भी रेस्क्यू आपरेशन करते हैं और इन सैनिकों की सेवा में भी जुटे हुए हैं। वहीं गांव की महिलाओं की ओर से लंगर तैयार किया जाता है।

    रोजाना पूर्व सैनिक गुरप्रीत सिंह व गांव के युवक सैनिकों के साथ रेस्क्यू के लिए निकलते हैं और शाम को गांव लौटते हैं। पीछे सारा दिन राहगीरों के लिए भी लंगर व चाय की सेवा चलती रहती है। इस काम में गांव के कुछ विदेशों में रहने वाले लोग भी सहयोग कर रहे हैं।

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