शिक्षा से वंचितों के लिए पंजाब सरकार का मेगा मिशन, घर-घर जाकर होगी 3 से 19 साल तक के हर बच्चे की तलाश
पंजाब सरकार ने शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण शुरू किया है। इस सर्वे में 3 से 19 वर्ष के बच्चों की पहचान की जाएगी, जिसमें प्रवासी और दिव्यांग बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि राज्य में कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे, और सभी को उनकी आवश्यकतानुसार शिक्षा मिले। यह सर्वे वार्षिक शिक्षा योजना 2026-27 के लिए किया जा रहा है।

वार्षिक शिक्षा योजना 2026-27 के लिए शिक्षा विभाग ने शुरू किया विशेष सर्वे (फोटो: जागरण)
गुलियानी, होशियारपुर। पंजाब सरकार अब राज्य के किसी भी बच्चे को शिक्षा से दूर नहीं रहने देगी। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग ने 3 से 19 वर्ष तक की आयु के सभी स्कूल से बाहर बच्चों की पहचान के लिए एक व्यापक डोर-टू-डोर सर्वे प्रारंभ करने के निर्देश जारी किए हैं।
यह सर्वे समग्र शिक्षा अभियान के वार्षिक प्लान 2026-27 की तैयारी के तहत किया जा रहा है, ताकि जमीनी स्तर पर सटीक और वास्तविक डेटा उपलब्ध हो सके। डायरेक्टर जनरल स्कूल एजुकेशन-कम-स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर, समग्र शिक्षा, पंजाब द्वारा जारी आदेश के अनुसार जिला और ब्लॉक स्तर के सभी शिक्षा अधिकारियों, बीपीईओ और स्कूल प्रमुखों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की सूची तैयार करें, जो किसी भी कारण से स्कूल नहीं जा रहे।
सर्वे का दायरा व्यापक रखा गया है, जिसमें समाज के सबसे कमजोर और वंचित वर्गों तक पहुंचने पर विशेष जोर दिया गया है।
सर्वे में इन श्रेणियों के बच्चों की पहचान अनिवार्य रूप से की जाएगी-
निर्माण श्रमिकों के बच्चे
प्रवासी परिवारों के बच्चे
घुमंतू जनजातियों के बच्चे
अनाथ बच्चे
ट्रैफिक सिग्नल, फ्लाईओवर, सड़क किनारे रहने या काम करने वाले बच्चे
ढाबों, रेस्तरां, गैरेज या दुकानों में काम करने वाले नाबालिग
कूड़ा बीनने वाले (कूड़ा बीनने वाले)
झुग्गी-झोंपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चे
शिक्षा विभाग का मानना है कि यह वर्ग स्कूल से सबसे अधिक कट जाता है, इसलिए इन तक पहुंचना प्राथमिकता है। 22 प्रकार की दिव्यांगताओं वाले बच्चों की होगी विशेष पहचान सर्वेक्षण में दिव्यांग बच्चों का विस्तृत रिकॉर्ड तैयार करने पर भी जोर दिया गया है।
शिक्षा विभाग ने 22 तरह की दिव्यांगताओं की सूची तैयार की है, जिनमें शामिल हैं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर, अंधापन, बौनापन, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक बीमारी, श्रवण बाधित, विशिष्ट सीखने की अक्षमता सहित कई अन्य। इन बच्चों की पहचान कर उन्हें शिक्षा से जोड़ने के लिए विशेष योजनाएँ बनाई जाएंगी।
6 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों का लिंग अनुसार (लड़का/लड़की) विवरण, जन्मतिथि, उम्र, माता-पिता या परिवार के मुखिया से संबंध जैसे महत्वपूर्ण विवरण भी दर्ज किए जाएँगे।
इसके साथ ही बच्चों की जाति जनरल, बीसी, एससी का रिकॉर्ड भी सर्वे का हिस्सा होगा।
शिक्षा विभाग का कहना है कि इस सर्वे से न सिर्फ स्कूल से बाहर बच्चों की वास्तविक संख्या सामने आएगी, बल्कि आने वाले सत्र की योजनाएँ भी अधिक प्रभावी और लक्षित रूप से बनाई जा सकेंगी।
उप जिला शिक्षा अधिकारी अमनदीप शर्मा ने बताया के पंजाब सरकार का उद्देश्य है कि राज्य में कोई भी बच्चा शिक्षा के अधिकार से वंचित न रहे और प्रत्येक बच्चे को उसकी जरूरत के अनुसार सीखने का अवसर मिले। यह सर्वे दिसंबर से तेज गति से शुरू होने की उम्मीद है और विभाग ने सभी जिलों को समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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