Punjab Weather: तबाही के बीच 2 सितंबर तक बाढ़ का खतरा, कई जिलों में भारी बारिश का रेड अलर्ट
जालंधर में वीरवार को मौसम साफ़ रहा जिससे उमस बढ़ गई। हालांकि शाम को बादल छाए रहने से वर्षा की संभावना बनी रही। मौसम विभाग ने अगले चार दिनों के लिए वर् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, जालंधर। शहर में वीरवार को दिनभर मौसम साफ रहा। धूप निकलने के साथ ही उमस भी बढ़ी। हालांकि देर शाम के समय हल्के बादल छाए रहने की वजह से वर्षा की संभावनाएं भी बनी थी।
दूसरी तरफ मौसम विभाग की तरफ से अभी भी अगले चार वर्षा को लेकर अलर्ट जारी किया हुआ है। शनिवार और रविवार को सर्वाधिक वर्षा होने की आशंका है।
मौसम विभाग ने बिगड़े हुए मौसम के बीच सभी को नदियों, नालों, दरिया आदि से दूर रहने के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों से दूर रहने की सलाह दी है।
दिनभर के तापमान की बात करें तो सर्वाधिक अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया है।
बारिश का येलो अलर्ट जारी
मुक्तसर में एक घंटे की तेज वर्षा से शहर में चारों तरफ पानी पानी हो गया है। सड़कों व गलियों में दो- दो फीट पानी जमा हो गया है। वर्षा इतनी तेज रही कि पानी लोगों की दुकानों और घरों में घुस गया है। एक घंटे में 13.5 एमएम वर्षा हुई है। मौसम विभाग ने भी आने वाले दिनों में वर्षा व बादल छाए रहने का येलो अलर्ट दिया है। वीरवार को अधिकतम तापमान 32 और न्यूनतम 27 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
जानकारी के अनुसार वीरवार सुबह से ही मौसम लगातार बदल रहा था। कभी धूप खिल रही थी तो कभी बादल छा रहे थे। इस बीच दो बजे एकदम से बादल घने हो गए और करीब तीन बजे तेज वर्षा शुरू हो गई जो चार बजे तक तेज होती रही जबकि चार बजे के बाद भी हल्की वर्षा हुई। तेज वर्षा के कारण शहर में पानी की निकासी की समस्या बड़े स्तर पर पैदा हो गई।
शहर के बठिंडा रोड, कोटकपूरा रोड, बठिंडा रोड बाइपास, रेलवे रोड, मलोट रोड, आदर्श नगर, अबोहर रोड, बूड़ा गुज्जर रोड, सदर बाजार, गोनियाना रोड, घास मंडी चौक सहित अन्य निचले क्षेत्रों में वर्षा का पानी भर गया है। जिस कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि सीवरेज विभाग की लापरवाही के कारण ही पानी की निकासी की समस्या पेश आ रही है, क्योंकि सीवर लाइनें अकसर ही चौक रहती हैं और मशीनें भी जरूरत पड़ने पर खराब होती हैं जिस कारण थोड़ी सी वर्षा होने पर भी पानी की निकासी की समस्या बन जाती है। कृषि विभाग के मुताबिक धान की फसल के लिए वर्षा राहत वाली है। लेकिन जो निचले क्षेत्र हैं उनमें अधिक पानी भरने से फसल को नुकसान होने का भी खतरा है।

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