Punjab Flood: कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री में पुर्जे बनाने वाले दो भाई बने खेवनहार, बाढ़ से बचाने के लिए बनाईं 70 नावें
कपूरथला में रेल कोच फैक्ट्री के लिए पुर्जे बनाने वाले प्रितपाल सिंह और दविंदरपाल सिंह हंसपाल बाढ़ में फंसे लोगों के लिए मसीहा बनकर उभरे हैं। दोनों भाई मिलकर अब तक 70 नावें बनाकर बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में भेज चुके हैं और उनका लक्ष्य 100 नावें बनाने का है। उन्होंने नाव बनाने की तकनीक भी सार्वजनिक की है।

महेश कुमार/नरेश कद, कपूरथला। कपूरथला रेल कोच फैक्ट्री के लिए पुर्जे बनाने वाली कंपनी के दो भाई प्रितपाल सिंह व दविंदरपाल सिंह हंसपाल बाढ़ में डूब रहे पंजाबियों के लिए खेवनहार बनकर सामने आए हैं। वे बाढ़ के पानी में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने का एकमात्र साधन नाव बनाने में जुटे हैं।
हंसपाल ट्रेडर्स के दोनों भाई बाढ़ राहत कार्यों में मदद के लिए अब तक 70 नावें बनाकर बाढ़ग्रस्त अजनाला, हरिके पत्तन, मंड बाऊपुर, पटियाला, बठिंडा आदि भेज चुके हैं। उनका लक्ष्य ऐसी 100 छोटी नावें बनाने का है।
यही नहीं, उन्होंने नाव बनाने की तकनीक व डिजाइन भी सार्वजनिक कर दी है ताकि कृषि उपकरण व कंबाइन हार्वेस्टर बनाने वाली कंपनियां भी ऐसी नावें आसानी से बनाकर अपने-अपने एरिया में लोगों की मदद कर सकें। दैनिक जागरण की टीम शनिवार को हंसपाल ट्रेडर्स की प्रोडक्शन यूनिट पहुंची तो वहां कुछ नावें पूरी तरह बन चुकी थीं और कुछ को पूरा करने में कारीगर जुटे हुए थे।
हंसपाल बंधुओं प्रितपाल सिंह व दविंदर पाल सिंह ने बताया कि उनकी छोटी नाव 10 व्यक्तियों व एक मवेशी को आसानी से ले जा सकती है जबकि विशेष रूप से डिजाइन किए गए ‘बेड़े’ की क्षमता 20 टन है जिसमें ट्रैक्टर, पोकलेन व जेसीबी तक लोड करके ले जाई जा सकती है।
उन्होंने बताया कि इन नावों को मोटर लगाकर इस्तेमाल किया जा सकता है पर मोटरों की भारी कमी के कारण वे फिलहाल इन्हें हाथ से चलाने वाली ही बना रहे हैं। उनकी बनाई प्रत्येक नाव पर ‘हलीमिया, हमदर्दियां ते मोहब्बतां दी किश्ती’ (विनम्रता, सहानुभूति व प्रेम की नाव) लिखा है। दोनों भाइयों ने बताया कि सुल्तानपुर लोधी में 2023 की बाढ़ के समय आजाद विधायक राणा इंदर प्रताप सिंह ने उनसे नाव बनाने का आग्रह किया था, तब उन्होंने नावें बनाने की काम शुरू किया था।
इस वर्ष जब बाढ़ के पानी ने एक बार फिर राज्य के कई हिस्सों को जलमग्न कर दिया है तो उन्हें सूबे के विभिन्न हिस्सों से फोन आने शुरू हो गए हैं। फोन करने वाले सरकारी अधिकारी भी हैं। उन्होंने बताया कि इस बार उन्होंने विधायक को 12 नावें भेजी हैं जबकि 2023 में 15 भेजी थीं। छड्डो जी! इह सब रब्ब ही करवा रेहा ऐ एक छोटी नाव की लागत पूछने पर प्रितपाल सिंह हंसते हुए हाथ जोड़कर बोले-‘छड्डो जी! इह सब रब्ब ही करवा रेहा ऐ।’
उन्होंने कहा कि हम यह मुनाफे के लिए नहीं, ‘वाहेगुरु’ के हुकम से लोगों को संकट से लड़ने में मदद करने के लिए कर रहे हैं। वह बताते हैं कि उनके पास पहले से ही छोटी नाव बनाने के लिए अनिवार्य उपकरण मौजूद हैं इसलिए उन्होंने रेल पुर्जों का निर्माण छोड़कर कम मैनपावर के बावजूद नावें बनानी शुरू कीं। दैनिक जागरण से बातचीत के समय प्रितपाल को ढेरों फोन काल्स आते रहे जिनमें उनसे नावों व बेड़ों को लेकर पूछताछ की जा रही थी।
देसी अटोर भी बना डाला, महाराष्ट्र भेजेंगे इस समय कंपनी की प्रोडक्शन यूनिट में देसी अटोर (बड़ा बेड़ा) को अंतिम रूप दिया जा रहा है। यह गुरुद्वारा लंबर साहिब, डेरा संत बाबा निधान सिंह जी, श्री हुजूर साहिब (नांदेड साहिब), महाराष्ट्र में कारसेवा के लिए बनाया जा रहा है।
प्रितपाल सिंह ने बताया कि बाढ़ के कारण मोटरों की भारी कमी है इसलिए उन्होंने देसी अटोर में मिनी ट्रैक्टर फिट करके उसके टायर में चप्पू जैसी लोहे की चपटी प्लेटें लगाकर उसे इंजन की मदद से चलने योग्य बना दिया है। इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। पूर्ण होने पर वह अपने स्तर पर इसका ट्रायल करेंगे, फिर इसे महाराष्ट्र भेजा जाएगा।
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