रोज 600 टन गोबर से बेहाल हुआ लुधियाना शहर, गैस प्लांट की योजना ठप होने से लोग झेल रहे गंदगी और प्रदूषण की मार
लुधियाना शहर में गोबर निस्तारण एक बड़ी समस्या है जहाँ हर दिन 600 मीट्रिक टन गोबर का प्रबंधन करना मुश्किल हो रहा है। ताजपुर डेयरी में गोबर गैस प्लांट की योजना तीन साल से अटकी है जबकि हैबोवाल डेयरी में अतिरिक्त प्लांट का काम शुरू नहीं हुआ है। शहर में 52690 पशुधन से प्रतिदिन 800 मीट्रिक टन गोबर निकलता है जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है।

जागरण संवाददाता, लुधियाना। महानगर में नगर निगम के लिए गोबर का निस्तारण करना भारी पड़ रहा है। हालात यह है कि प्रतिदिन 600 मीट्रिक टन गोबर को कहा ठिकाने लगाया जाए, इसका हल अधिकारी नहीं निकाल पा रहे है। हालांकि पेडा की तरफ से ताजपुर डेयरी कांप्लेक्स में एक गोबर गैस प्लांट लगाने की योजना बीते लगभग तीन साल इधर से उधर भटक रही है।
अगर इस समय प्लांट को समय रहते लगाया जाता तो लगभग 300 टन गोबर का निस्तारण होना था। वहीं हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स में भी 200 टन का अतिरिक्त प्लांट लगाने की योजना भी धरातल पर उतर नहीं सकी है। अगर इन दोनों योजनाओं पर आज भी काम शुरु होगा, तो इन्हें पूरा होने में लगभग दो साल लगेंगे।
गौरतलब है कि महानगर में दो पशु डेयरी कांप्लेक्स चल रहे है। हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स में 35364 जानवर है। जबकि ताजपुर डेयरी कांप्लेक्स में 14388 पशु है। इसके अलावा शहर में चल रही गोशाला में 3573 और अंदरूनी शहर में चल रही पशु डेयरियों में 4973 पशु पाले जा रहे है। सिर्फ लुधियाना शहर में 52690 पशु पाले जा रहे है। गडवासू अधिकारियों की माने तो एक जानवर प्रतिदिन 10 से 15 किलो गोबर करता है।
यानी अकेले शहर से प्रतिदिन 800 मीट्रिक टन गोबर निकलता है। इस गोबर के निस्तारण के लिए हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स में एक गोबर गैस प्लांट है। जिसकी क्षमता 200 मीट्रिक टन की है। 600 मीट्रिक टन गोबर का निस्तारण नहीं हो रहा है। यही कारण है कि ज्यादातर गोबर बुड्ढा दरिया में डाला जा रहा है। लेकिन अधिकारी इसका पक्का हल नहीं निकाल रहे है।
यहां बता दे कि हैबोवाल डेयरी कांप्लेक्स में बायोगैस प्लांट लगा है, जिसकी क्षमता 220 मीट्रिक टन है। डेयरी कांप्लेक्स से निकलने वाले गोबर को देखते प्रशासन ने यहां पर एक और प्लांट लगाने का खाका तैयार किया था। बीते दो साल से यहां पर विभिन्न विभागों से अप्रूवल लेने का काम चल रहा है। अब सबसे आखिर में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की परमिशन मिलना बाकी है।
इसके बाद 300 मीट्रिक टन का प्लांट एचपीसीएल की तरफ से लगाया जाएगा। इसमें लगभग 18 माह का समय लगेगा। इसी तरह ताजपुर रोड डेयरी कांप्लेक्स में कोई प्लांट नहीं है। यहां लगभग प्रतिदिन दो सौ टन गोबर निकलता है। इसके निस्तारण के लिए कोई हल नहीं है। यहां प्लांट लगाने के लिए कंपनी भी तैयार हो चुकी है, लेकिन अभी तक प्लांट लगाने की लिए जमीन फाइनल नहीं हो सकी है।
निगम की तरफ से डेयरियों से गोबर उठाने के लिए टेंडर काल किया गया है। इस टेंडर को लेने वाली कंपनी को प्रत्येक डेयरी में जाकर गोबर को उठाना होगा और उसका निस्तारण करना होगा। इसमें भी निगम को कोई सफलता नहीं मिल रही है। पहले जारी किए गए टेंडर में एक कंपनी ने 15 सौ प्रतिटन के हिसाब से पैसा देने की मांग रखी थी।
गोबर उठाने के पैसे निगम को देने होंगे। यानी निगम को प्रतिसाल 32 करोड़ देना होगा। निगम ने इस टेंडर को रद्द कर दिया है, अब दोबारा से टेंडर काल किए गए है। इसमें अनिश्चितता का माहौल है, कोई पंजाब में अभी तक डेयरी से गोबर उठाने वाला कोई टेंडर नहीं हुआ है।
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