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    NCRB Report 2022: पंजाब में बीमारियाें से तंग 44 % लाेगाें ने की खुदकुशी, पिछले साल के मुकाबले आई कमी

    By Vipin KumarEdited By:
    Updated: Thu, 01 Sep 2022 02:17 PM (IST)

    NCRB Report 2022 पंजाब में लाेग अब बीमारी से परेशान हाेकर माैत काे गले लगा रहे हैं। यह खुलासा नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो की रिपाेर्ट में हुआ है। हालांकि देश में बीमारी से मरने वाली की संख्या 18.6 प्रतिशत ही है।

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    NCRB Report 2022: पंजाब में बीमारियाें से तंग हाेकर खुदकुशी कर रहे लाेग। (सांकेतिक तस्वीर)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब में लोग बीमारियों से तंग आकर आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में रोजाना औसतन 7 से ज्यादा लोग आत्महत्या कर रहे है। आंकड़ों के मुताबिक देश में बीमारियों से पीड़ित आत्महत्या करने वालों की गिनती 18.6 प्रतिशत है। जबकि पंजाब में यह 44.8 प्रतिशत है। हालांकि पिछले सालों की तुलना में आत्महत्या करने के मामले में 0.6 प्रतिशत की कमी आई है।

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    2021 में 2600 लोगों ने की थी आत्महत्या

    2021 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल राज्य में 2600 लोगों ने आत्महत्या की थी। इनमें से 1164 लोग ऐसे थे, जिन्होंने किसी न किसी बीमारी से परेशान होकर आत्महत्या की। 164 के करीब लोग ऐसे थे जो किडनी, कैंसर, ह्दय रोग आदि से पीडि़त थे। 1095 मृतक मनोरोगी थी। 83 लोग ऐसे थे, जिन्होंने प्रेम संबंध टूटने के कारण आत्महत्या जैसा कदम उठाया। 78 लोग ऐसे थे जिन्होंने नशे और शराब से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे लेकिन अपनी जान दे दी। इसी तरह कृषि क्षेत्र से जुडे़ 270 लोगों ने जान दी। इसमें 171 किसान थे।

    पंजाब में मनोरोगियों की संख्या भी बढ़ी

    पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के प्रोफेसर मंजीत सिंह कहना है कि आत्महत्याओं के बढ़ने के कई कारण हैं। पहले ज्वाइंट फेमिली हुआ करती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह चिंता की बात है कि पंजाब में मनोरोगियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। एनएसीआरबी ने जो आंकड़े दिए हैं उनमें एक हजार से ज्यादा ऐसे लोग हैं जो मनोरोगी थी।

    कर्ज और अकेलापन भी खुदकुशी का बड़ा कारण

    मनोरोगों के शिकार होने के कई कारण कर्ज, अकेलापन, अपनी बात किसी से न कर सकना सामने आ रहा है। जिन लोगों ने बीमारियों के कारण आत्महत्या की है उसके भी कई कारण है। कई लोग महंगे इलाज के कारण अपनी मेडिकल चेकअप रूटीन में नहीं रख सके। प्रो. मंजीत ने कहा कि सरकार की ओर से भले ही कैंसर या अन्य बीमारियों के उपचार के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन यह नाकाफी हैं।