पंजाब में पराली जलाने के 933 मामले आए सामने, एक हफ्ते में दोगुना हुए केस; AQI पहुंचा 500 पार
पंजाब में पराली जलाने के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। एक सप्ताह में मामले दोगुने हो गए हैं, हालांकि पिछले वर्ष के मुकाबले कम हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का मानना है कि आने वाले दिनों में यह समस्या और बढ़ेगी, जिससे हवा की गुणवत्ता और खराब हो सकती है। दीवाली के बाद कई शहरों में AQI 500 के पार चला गया था।

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जागरण संवाददाता, पटियाला। पंजाब में पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं। सोमवार को राज्य में इस सीजन में एक दिन में सबसे अधिक 147 स्थानों पर पराली जली थी। हालांकि, मंगलवार को 43 मामले ही सामने आए, लेकिन पिछले एक सप्ताह में पराली को आग लगाने का कुल आंकड़ा दो गुना से भी अधिक बढ़ गया है।
हालात यह हैं कि 15 सितंबर से 20 अक्टूबर तक 35 दिन में 353 जगह पराली जलाई गई थी, लेकिन 21 अक्टूबर के बाद एक सप्ताह में ही 580 मामले सामने आ गए। अब तक कुल 933 मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि यह भी पिछले वर्ष के मुकाबले 57 प्रतिशत कम है।
साल 2024 में 28 अक्टूबर तक पराली जलाने के 2,137 मामले सामने आए थे। इस वर्ष राज्य में 31.72 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की गई है, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत क्षेत्र में धान की कटाई हो चुकी है, यानी अभी भी लगभग 40 प्रतिशत क्षेत्र में धान की कटाई बाकी है।
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि अगले दस दिन के भीतर कटाई तेजी पकड़ेगी तो पराली को आग लगाने का क्रम भी तेज हो जाएगा। ऐसे में अगले दस से 15 दिन के भीतर पराली को आग लगाए जाने की घटनाएं और बढ़ जाएंगी।
पराली के धुएं से हवा की गुणवत्ता भी हो रही प्रभावित
राज्य में बिगड़ती हवा की गुणवत्ता भी चिंता का विषय है। पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के कारण प्रमुख शहरों में वायु गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। दीवाली के बाद अमृतसर और जालंधर में एअर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) 500 के पार पहुंच गया था, जबकि लुधियाना की हवा की गुणवत्ता भी गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई थी।
मंगलवार को अमृतसर में एक्यूआइ 187, बठिंडा में 111, जालंधर में 132, लुधियाना में 139, मंडी गोबिंदगढ़ में 167 और पटियाला में 121 दर्ज किया गया।
पिछले तीन वर्ष के मुकाबले पराली जलाने के मामले कम पिछले तीन वर्षों की तुलना में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है। वर्ष 2022 में पराली जलाने के 49,922 मामले सामने आए थे, जोकि 2023 में 26 प्रतिशत कम होकर 36,663 रह गए। र्ष 2024 में यह मामले कम होकर 10,909 रह गए, जोकि 2023 की तुलना में करीब 70 प्रतिशत और 2022 की तुलना में 77 प्रतिशत कम हो गए।

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