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    संगरूर मंडियों में बोरियों का पहाड़, धान की आवक 29% गिरी; प्रति एकड़ 10 क्विंटल का नुकसान

    Updated: Tue, 04 Nov 2025 05:11 PM (IST)

    संगरूर जिले में धान की आवक पिछले साल के मुकाबले 29% कम हुई है, जिससे किसान निराश हैं। बेमौसम बारिश और रोगों के कारण फसल की उपज में भारी गिरावट आई है, जिससे किसानों को प्रति एकड़ 10 क्विंटल तक का नुकसान हुआ है। लिफ्टिंग की धीमी गति से मंडियों में बोरियों का अंबार लगा है, जिससे आढ़तियों को भी परेशानी हो रही है। किसानों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है।

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    संगरूर में मंडियों में बोरियों का पहाड़ (फोटो: जागरण)

    जागरण संवाददाता, संगरूर। धान का सीजन अंतिम छोर पर पहुंच गया है, लेकिन जिला संगरूर में धान की आमद गत वर्ष के मुकाबले करीब 29 फीसदी तक पिछड़ गई है।

    यानी पिछले वर्ष की अपेक्षा 29 फीसदी कम धान मंडियों में पहुंचा है, जिससे न केवल किसानों का आर्थिक नुकसान हुआ है, बल्कि मजदूरों की मजदूरी, आढ़तियों की आढत का ग्राफ भी गिर गया है।

    जिला संगरूर में धान की 90 फीसदी कटाई मुकम्मल हो गई है। जिले में अब तक 11 लाख 54 हजार 884 एमटी धान की आमद हुई है, जबकि गत वर्ष 16 लाख 34 हजार 760 एमटी की आमद हुई थी।

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    गत वर्ष की अपेक्षा करीब 29.35 फीसदी आमद कम हुई है। बेशक अभी मंडियों में धान की आमद जारी है,लेकिन रफ्तार धीमी पड़ गई है। ऐसे में गत वर्ष के लक्ष्य तक पहुंचना असंभव दिखाई दे रहा है।

    अनुमान जिले में 15 से 20 फीसदी तक कम आमद होगी। जिले में लिफ्टिंग की रफ्तार भी धीमी चल रही है, जिस कारण आढ़तियों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। जिले में करीब 57 लाख थैलों की लिफ्टिंग बाकी है।

    जिला संगरूर में अब तक पनग्रेन की 103178 एमटी, मार्कफेड की 57993 एमटी, पनसप की 38908 एमटी, वेयरहाउस की 14459 एमटी समेत कुल 214538 एमटी फसल की लिफ्टिंग बाकी है।

    यानी मंडियों में 57.21 लाख थैलों के अंबार लगे हुए हैं, जिन्हें लिफ्टिंग का इंतजार है। जिले की मंडियों में पनग्रेन ने 476785 एमटी, मार्कफेड ने 262133 एमटी, पनसप ने 211564 एमटी, वेयरहाउस ने 79048 एमटी व व्यापारियों ने 107097 एमटी समेत कुल 1136627 एमटी की खरीद कर ली है, जबकि 18257 एमटी की खरीद बाकी है।

    गांव बड़रुखां के किसान हरदीप सिंह, धन्ना सिंह, रणजीत सिंह, अवतार सिंह, गुरजंट सिंह ने कहा कि बेमौसमी बरसात की वजह से धान की फसल को रोगों ने घेर लिया। जिस वजह से धान की फसल का झाड़ 10 क्विंटल प्रति एकड़ तक कम झाड़ प्राप्त हुआ है।

    किसानों ने कहा कि धान की फसल पर बोने रोग के हमले की वजह से झाड़ काफी कम निकला है, जबकि हल्दी रोग, झुलस रोग से झाड़ में हल्की कमी आई है। इसका असर सीधे तौर पर किसान की आर्थिकता पर पड़ा है।

    कम झाड़ से उनका आर्थिक नुकसान इस कदर हो गया है कि अगली फसल पर भी इसका असरहोगा। किसान पहले ही आर्थिक तंगी के दौर से गुजर रहे हैं। ठेके पर ली गई जमीन का ठेका भरने से भी किसान असमर्थ है। धान के इस सीजन ने किसानों की कमर तोड़कर रख दी है।