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    Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी की पूजा में करें ये आरती, जीवन में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली का होगा आगमन

    Updated: Thu, 29 Aug 2024 06:30 AM (IST)

    हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है। एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में। भाद्रपद माह की पहली एकादशी को अजा एकादशी (Aja Ekadashi 2024) के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से साधक के जीवन में सुख समृद्धि एवं खुशहाली का आगमन होता है। इसके अलावा एकादशी तिथि पर प्रभु की आरती करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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    Lord Vishnu: ऐसे करें श्रीहरि को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अजा एकादशी व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2024 में अजा एकादशी आज व्रत आज यानी 29 अगस्त को किया जा रहा है। अगर आप इस तिथि पर जगत के पालनहर भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो अजा एकादशी के दिन प्रभु की विशेष पूजा कर आरती (Bhagwan Vishnu Ki Aarti) जरूर करें। मान्यता है कि आरती करने से पूजा सफल होती है।

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    अजा एकादशी शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत गुरुवार 29 अगस्त को देर रात 01 बजकर 19 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन शुक्रवार 30 अगस्त को देर रात 01 बजकर 37 मिनट पर होगा। ऐसे में 29 अगस्त को अजा एकादशी व्रत किया जाएगा।

    यह भी पढ़ें: Aja Ekadashi 2024: अजा एकादशी व्रत से जीवन की बाधाओं का होगा अंत, भगवान विष्णु को अर्पित करें प्रिय फूल

    श्री विष्णु आरती

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

    स्वामी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।