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    Indira Ekadashi 2025 Date: 16 या, 17 सितंबर, कब मनाई जाएगी इंदिरा एकादशी? यहां पता करें मुहूर्त और महत्व

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 05:21 PM (IST)

    इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2025 Date) के दिन मंगलकारी शिव और परिघ योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को अक्षय और अमोघ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही हर मनोकामना पूरी होगी।

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    Indira Ekadashi 2025 Date: इंदिरा एकादशी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पितृ पक्ष का खास महत्व है। यह पक्ष पितरों को समर्पित माना जाता है। इस दौरान पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष में पितरों का तर्पण करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। वहीं, व्यक्ति विशेष पर पितरों की कृपा बरसती है।

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    पितृ पक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इंदिरा एकादशी के दिन पितरों का तर्पण करने से पूर्वज तृप्त होते हैं। उनकी भक्ति आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति पर भगवान विष्णु और पितरों की कृपा बरसती है। आइए, इंदिरा एकादशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं-

    कब मनाई जाती है इंदिरा एकादशी?

    हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति द्वारा जाने-अनजाने में किए गए समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक को मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है। इस दिन श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

    इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर (अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार यानी 16 सितंबर की रात) को देर रात 12 बजकर 21 मिनट होगी। वहीं, एकादशी तिथि का समापन 17 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।  

    इंदिरा एकादशी पारण (Indira Ekadashi Paran Timing)

    17 सितंबर के दिन इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इसके अगले दिन यानी 18 सितंबर को इंदिरा एकादशी का पारण किया जाएगा। साधक 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से लेकर 08 बजकर 34 मिनट के मध्य स्नान-ध्यान के बाद पूजा-पाठ कर व्रत खोल सकते हैं। वहीं, व्रत खोलने से पहले अन्न और धन का दान अवश्य करें।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।