Indira Ekadashi 2025: कब है इंदिरा एकादशी? यहां पता करें शुभ मुहूर्त एवं योग
सनातन धर्म में आश्विन माह का विशेष महत्व है। आश्विन माह कृष्ण पक्ष के दौरान पितृ पक्ष मनाया जाता है है। वहीं शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। शारदीय नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2025 Date) पर भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन माह का खास महत्व है। यह महीना जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इस महीने में शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में शारदीय नवरात्र मनाया जाता है।
वहीं, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पितरों की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस दौरान इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि बुधवार 17 सितंबर को भारतीय समयानुसार देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी और गुरुवार 18 सितंबर को देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि गणना के अनुसार, 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी।
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एकादशी पारण (Indira Ekadashi Paran Timing)
इंदिरा एकादशी का पारण 18 सितंबर को सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 03 मिनट किया जाएगा। साधक 18 सितंबर को सुबह 05 बजकर 36 मिनट से लेकर 08 बजकर 03 मिनट के मध्य पारण कर सकते हैं।
इंदिरा एकादशी शुभ योग (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर परिघ, शिव और शिववास योग के संयोग बन रहे हैं। इन योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाएगी। साथ ही पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाएगा। इंदिरा एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 36 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 05 बजकर 51 मिनट पर
- चन्द्रोदय- देर रात 02 बजकर 05 मिनट पर... (18 सितंबर)
- चंद्रास्त- दोपहर 03 बजकर 31 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 49 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 46 मिनट से 02 बजकर 35 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 51 मिनट से 06 बजकर 15 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 20 मिनट से 12 बजकर 07 मिनट तक
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