Indira Ekadashi 2025: कब है इंदिरा एकादशी? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
पितृ पक्ष के दौरान इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi 2025) मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति विशेष को पितृ दोष से राहत मिलती है। साधक इंदिरा एकादशी के दिन श्रद्धा भाव से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन माह का खास महत्व है। इस महीने में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित पर्व नवरात्र मनाया जाता है। यह पर्व आश्विन माह के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। वहीं, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष मनाया जाता है। इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है। साथ ही पितरों का तर्पण एवं पिंडदान किया जाता है।
आश्विन माह में इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। आइए, इंदिरा एकादशी की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं।
कब मनाई जाती है इंदिरा एकादशी? (Indira Ekadashi 2025)
हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को इंदिरा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। यह पर्व पितृ पक्ष के दौरान मनाया जाता है। इस व्रत को करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही मनचाही मुराद पूरी होती है।
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इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त (Indira Ekadashi Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर होगी। वहीं, 17 सितंबर को ही देर रात 11 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इंदिरा एकादशी 17 सितंबर को मनाई जाएगी। वहीं, पारण 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 34 मिनट के मध्य किया जाएगा।
इंदिरा एकादशी शुभ योग (Indira Ekadashi Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर परिघ और शिव योग का निर्माण हो रहा है। परिघ योग का समापन रात 10 बजकर 55 मिनट पर होगा। वहीं, शिव योग रात भर है। इसके साथ ही शिववास योग का भी संयोग है। शिववास योग रात भर है। इस दौरान भगवान शिव सर्वप्रथम कैलाश पर विराजमान होंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे। इन योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलेग। इस दिन बालव और कौलव योग का भी संयोग बन रहा है।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 07 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 18 मिनट से 03 बजकर 07 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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