Papankusha Ekadashi के दिन तुलसी से जुड़ी इन बातों का रखें ध्यान, खुशियों से भर जाएगा जीवन
हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की सभी तिथियों में एकादशी को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पापांकुशा एकादशी के दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है और तुलसी के नियम का पालन जरूर करना चाहिए। ऐसा न करने से मां लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को सनातन शास्त्रों में अधिक खास माना गया है। इस माह में पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2025) मनाई जाती है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संग तुलसी पूजा होती है। लेकिन तुलसी पूजा के दौरान नियम का पालन जरूर करना चाहिए।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी का तुलसी माता निर्जला व्रत करती हैं। ऐसे में एकादशी के दिन तुलसी में जल देने और तुलसी के पत्ते तोड़ने से तुलसी माता का व्रत खंडित हो सकता है और साधक को मां लक्ष्मी की नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में जानते हैं तुलसी (Tulsi Niyam) से जुड़े नियम के बारे में।
भूलकर भी न करें ऐसी गलती
धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी का तुलसी माता (Tulsi Puja Niyam) भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इसलिए इस एकादशी के दिन तुलसी में जल देने की मनाही है। साथ ही तुलसी के पत्ते भी नहीं तोड़ने चाहिए। इस गलती को करने से तुलसी माता का व्रत खंडित हो सकता है। साथ ही जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इस बात का रखें जरूर ध्यान
ऐसा माना जाता है कि धन की देवी मां लक्ष्मी का वास साफ-सफाई वाली जगह पर होता है। इसलिए एकादशी के दिन तुलसी के पास साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। सुबह स्नान करने के बाद तुलसी के पास देसी घी का दीपक जलाएं और तुलसी माता की आरती करें। इसके बाद तुलसी मंत्रों का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी पूजा करने से धन में वृद्धि होती है और जीवन खुशियों से भर जाता है।
भोग में जरूर शामिल करें तुलसी के पत्ते
एकादशी के दिन भगवान विष्णु के भोग में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि तुलसी के पत्ते शामिल न करने से प्रभु भोग को स्वीकार नहीं करते हैं।
पापांकुशा एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Papankusha Ekadashi 2025 Date and Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- 02 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 10 मिनट पर होगी। वहीं, तिथि का समापन 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में पापांकुशा एकादशी व्रत 03 अक्टूबर को किया जाएगा।
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