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    Shattila Ekadashi पर कर लिया तुलसी माता के इस स्तोत्र का पाठ, तो नहीं होगी धन-समृद्धि की कमी

    तुलसी का पौधा भगवान विष्णु का प्रिय माना गया है। इसलिए उनके भोग में तुलसी के पत्तों को जरूरी रूप से शामिल किया जाता है। एकादशी के दिन तुलसी का महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप एकादशी पर शुभ फलों की प्राप्ति करना चाहते हैं तो इसके लिए पूजा के दौरान तुलसी स्तोत्र का पाठ जरूर करें।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 24 Jan 2025 08:00 AM (IST)
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    Shattila Ekadashi 2025 तुलसी माता को कैसे करें प्रसन्न?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस बार षटतिला एकादशी (Shattila Ekadashi 2025) शनिवार, 25 जनवरी 2025 को मनाई जा रही है। इस तिथि पर विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से भगवान विष्णु तो प्रसन्न होते ही हैं, साथ ही माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। ऐसे में आप एकादशी के अवसर पर लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्ति के लिए विष्णु जी के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी आरती जरूर करें।

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    तुलसी स्तोत्र (Tulsi Stotram)

    तुलसी श्रीमहादेवि नमः पंकजधारिणी ।

    शिरो मे तुलसी पातु भालं पातु यशस्विनी ।।

    दृशौ मे पद्मनयना श्रीसखी श्रवणे मम ।

    घ्राणं पातु सुगंधा मे मुखं च सुमुखी मम ।।

    जिव्हां मे पातु शुभदा कंठं विद्यामयी मम ।

    स्कंधौ कह्वारिणी पातु हृदयं विष्णुवल्लभा ।।

    पुण्यदा मे पातु मध्यं नाभि सौभाग्यदायिनी ।

    कटिं कुंडलिनी पातु ऊरू नारदवंदिता ।।

    जननी जानुनी पातु जंघे सकलवंदिता ।

    नारायणप्रिया पादौ सर्वांगं सर्वरक्षिणी ।।

    संकटे विषमे दुर्गे भये वादे महाहवे ।

    नित्यं हि संध्ययोः पातु तुलसी सर्वतः सदा ।।

    इतीदं परमं गुह्यं तुलस्याः कवचामृतम् ।

    मर्त्यानाममृतार्थाय भीतानामभयाय च ।।

    मोक्षाय च मुमुक्षूणां ध्यायिनां ध्यानयोगकृत् ।

    वशाय वश्यकामानां विद्यायै वेदवादिनाम् ।।

    द्रविणाय दरिद्राण पापिनां पापशांतये ।।

    अन्नाय क्षुधितानां च स्वर्गाय स्वर्गमिच्छताम् ।

    पशव्यं पशुकामानां पुत्रदं पुत्रकांक्षिणाम् ।।

    राज्यायभ्रष्टराज्यानामशांतानां च शांतये ।

    भक्त्यर्थं विष्णुभक्तानां विष्णौ सर्वांतरात्मनि ।।

    जाप्यं त्रिवर्गसिध्यर्थं गृहस्थेन विशेषतः ।

    उद्यन्तं चण्डकिरणमुपस्थाय कृतांजलिः ।।

    तुलसीकानने तिष्टन्नासीनौ वा जपेदिदम् ।

    सर्वान्कामानवाप्नोति तथैव मम संनिधिम् ।।

    मम प्रियकरं नित्यं हरिभक्तिविवर्धनम् ।

    या स्यान्मृतप्रजा नारी तस्या अंगं प्रमार्जयेत् ।।

    सा पुत्रं लभते दीर्घजीविनं चाप्यरोगिणम् ।

    वंध्याया मार्जयेदंगं कुशैर्मंत्रेण साधकः ।।

    साSपिसंवत्सरादेव गर्भं धत्ते मनोहरम् ।

    अश्वत्थेराजवश्यार्थी जपेदग्नेः सुरुपभाक ।।

    पलाशमूले विद्यार्थी तेजोर्थ्यभिमुखो रवेः ।

    कन्यार्थी चंडिकागेहे शत्रुहत्यै गृहे मम ।।

    श्रीकामो विष्णुगेहे च उद्याने स्त्री वशा भवेत् ।

    किमत्र बहुनोक्तेन शृणु सैन्येश तत्त्वतः ।।

    यं यं काममभिध्यायेत्त तं प्राप्नोत्यसंशयम् ।

    मम गेहगतस्त्वं तु तारकस्य वधेच्छया ।।

    जपन् स्तोत्रं च कवचं तुलसीगतमानसः ।

    मण्डलात्तारकं हंता भविष्यसि न संशयः ।।

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    लक्ष्मी माता की आरती (Laxmi Ji Ki Aarti)

    एकादशी के शुभ अवसर पर आप पूजा के दौरान मां लक्ष्मी की आरती का भी पाठ कर सकते हैं। इससे आपको धन के देवी के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा की प्राप्ति होती है।

    ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। मैया तुम ही जग-माता।।

    सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। मैया सुख सम्पत्ति दाता॥

    जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता। मैया तुम ही शुभदाता॥

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता। मैया सब सद्गुण आता॥

    सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता। मैया वस्त्र न कोई पाता॥

    खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता। मैया क्षीरोदधि-जाता॥

    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता। मैया जो कोई जन गाता॥

    उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥ ओम जय लक्ष्मी माता॥

    ऊं जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता। ऊं जय लक्ष्मी माता।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।