Tulsi Puja Niyam: क्या एकादशी के दिन कर सकते हैं तुलसी की पूजा, यहां जानें नियम
हिंदू धर्म में एकादशी व्रत करने का विशेष महत्व माना गया है जो मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है। विष्णु जी को तुलसी बेहद प्रिय है ऐसे में एकादशी के दिन तुलसी का महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन पर तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान रखना भी बेहद जरूरी है ताकि आपके ऊपर प्रभु श्रीहरि की कृपा बनी रहे।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कई लोगों को इस बात में दुविधा बनी रहती है कि एकादशी (Ekadashi) के दिन तुलसी पूजन करना चाहिए या नहीं। एकादशी के दिन तुलसी से संबंधित कुछ नियम भी बताए गए हैं, जिनका ध्यान रखकर तुलसी पूजन किया जा सकता है। इससे आपको एकादशी व्रत का पूर्ण फल मिलता है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
जरूर करें ये काम
एकादशी के दिन सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास घी का दीपक भी जरूर जलाएं और तुलसी की 7 बार परिक्रमा करें और तुलसी के मंत्रों का जप व तुलसी माता की आरती करें। ऐसा करने से साधक को जीवन में शुभ परिणाम मिलने लगते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। इशके साथ
रखें इन बातों का ध्यान
एकदाशी के दिन पूजा के दौरान में भगवान विष्णु को तुलसी पत्र जरूर अर्पित करें, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी के बिना प्रभु श्रीहरि का भोग अधूरा होता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते भूलकर भी न उतारें। ऐसे में आप एक दिन पहले तुलसी के पत्ते उतारकर रख सकते हैं और भगवान विष्णु के भोग में अर्पित कर सकते हैं।
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न करें ये गलती
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी में जल देने, तुलसी के पत्ते उतारने या फिर स्पर्श करने की मनाही होती है। क्योंकि ऐसा माना गया है कि एकादशी के दिन मां तुलसी, भगवान विष्णु के निमित्त निर्जला व्रत करती हैं। ऐसे में इस सभी कार्यों को करने से उनके व्रत में बाधा पहुंच सकती है। इसके साथ ही रोजाना खासकर एकादशी के दिन तुलसी के आसपास साफ-सफाई का भी जरूर ध्यान रखें।
तुलसी माता के मंत्र
1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
2. तुलसी स्तुति मंत्र -
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
3. तुलसी नामाष्टक मंत्र -
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
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