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    सावन में अपने ससुराल के इस मंदिर में विराजते हैं महादेव, भक्तों की लगती है लंबी कतार

    Updated: Thu, 19 Jun 2025 03:26 PM (IST)

    हरिद्वार को धर्मनगरी कहकर भी संबोधित किया जाता है। हरिद्वार के कनखल कस्बे में भगवान शिव को समर्पित दक्षेश्वर महादेव मंदिर (Daksheshwar Mahadev Temple) स्थापित है जिसमें सावन के महीने में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस मंदिर का संबंध भगवान शिव और राजा दक्ष से माना गया है। चलिए जानते हैं प्राचीन मंदिर का इतिहास।

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    Daksheshwar Mahadev Temple in Haridwar Know the story

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हरिद्वार (Haridwar) अपने आप में ही बहुत पवित्र जगह है। यहां लाखों भक्त गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य फलों की प्राप्ति करते हैं। साथ ही हरिद्वार में कई मंदिर भी स्थित हैं, जिन्हें लेकर कई तरह की मान्यताएं भी प्रचलित हैं। आज हम आपको हरिद्वार में स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे लेकर एक बहुत ही खास मान्यता प्रचलित है। इसके अनुसार, सावन के महीने में स्वयं महादेव इस मंदिर में विराजमान रहते हैं।

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    मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा दक्ष ने भव्य यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन जमाई होने के बाद भी उन्होंने भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया। तब माता सती अपने पिता के यहां यज्ञ में जाने की जिद करने लगीं। भगवान शिव के समझाने के बाद भी वह नहीं मानीं और यज्ञ में चली गईं। वहां उनके पिता दक्ष ने शिव जी की बहुत अपमान किया। इससे माता सती बहुत निराश हुईं और उन्होंने अग्नि कुंड में कूदकर आत्मदाह कर लिया।

    महादेव को आया क्रोध

    भगवान शिव ने क्रोध में आकर अपनी जटाओं से वीरभद्र को पैदा किया। शिव जी के आदेश पर वीरभद्र ने दक्ष का सिर काट दिया। जब देवी-देवताओं के शिव जी के समक्ष अनुरोध किया, तब भगवान शिव ने राजा दक्ष को जीवनदान देते हुए बकरे का सिर लगा दिया।

    दक्ष को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने भगवान शिव से क्षमा याचना की। भोलेनाथ ने राजा दक्ष को क्षमा कर दिया और यह वरदान भी दिया कि उनका नाम भगवान शिव के साथ जोड़ा जाएगा। इसी कारण से हरिद्वार के इस मंदिर को “दक्षेश्वर महादेव मंदिर” के नाम से जाना जाता है।

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    मंदिर की खासियत

    इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि सावन के महीने में शिव जी अपने ससुराल यानी कनखल में निवास करते हैं। जिसका कारण यह माना जाता है कि राजा दक्ष ने भगवान शिव से कनखल में निवास करने की मांग की थी। इसी कारण से सावन में इस मंदिर में शिवलिंग के दर्शन करने के लिए शिव भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि इस मंदिर में जो शिवलिंग स्थापित है, वह पाताल लोक से जुड़ा हुआ है।

    कब हुआ मंदिर का निर्माण

    राजा दक्ष और महादेव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण रानी धनकौर ने  सन 1810 में करवाया था। 1962 में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया। मंदिर में पांव के निशान बने हुए हैं, जिन्हें भगवान विष्णु के पद चिन्ह के रूप में पूजा जाता है। दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पास बहने वाली गंगा नदी के किनारे को “दक्षा घाट” के नाम से जाना जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।