Draupadi Temples: देश के इन मंदिरों में होती है द्रौपदी की पूजा, जानिए इनकी खासियत
द्रौपदी हिंदू महाकाव्य महाभारत की एक प्रमुख पात्र रही है। द्रौपदी पांचाल नरेश राजा द्रुपद की पुत्री थी जो कि एक यज्ञ से उत्पन्न हुई थी। भारत खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों में द्रौपदी को समर्पित कई मंदिर मौजूद हैं। इस स्थानों पर द्रौपदी को लेकर अलग-अलग मान्यताएं मौजूद हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। द्रौपदी की गिनती उन पांच कन्याओं में की जाती है। द्रौपदी का नाम महाभारत ग्रंथ की मुख्य पात्र होने के साथ साथ-साथ भारतीय इतिहास की सशक्त महिलाओं में भी शामिल है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कई ऐसे स्थान मौजूद हैं, जहां द्रौपदी की पूजा की जाती है। चलिए जानते हैं कुछ ऐसे ही मंदिरों के बारे में।
पांडवों की भी समर्पित है यह मंदिर
बेंगलुरु में स्थित श्री धर्मराज-द्रौपदी मंदिर स्थापित है। यह मंदिर देवी द्रौपदी के साथ-साथ पांडवों की भी समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण वह्निकुल क्षत्रिय राजाओं ने करवाया था। यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है। इस मंदिर में देवी द्रौपदी को समर्पित करगा उत्सव भी मनाया जाता है, जो काफी प्रसिद्ध है।
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रक्षा करती हैं देवी द्रौपदी
द्रौपदी अम्मन मंदिर जो तमिलनाडु के कोठामंगलम में स्थित है, द्रौपदी को समर्पित सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। यहां देवी द्रौपदी को शक्ति, स्वाभिमान और न्याय की देवी के रूप में पूजा जाता है। हर साल मंदिर में थीमिथि नाम का एक आयोजन किया जाता है, जिसमें भक्त अग्नि पर चलते हैं।
लोगों का यह मानना है कि यह अग्नि आपको जलाती नहीं है, बल्कि आपका शुद्धिकरण करती है। स्थानीय लोगों का मानना है कि देवी उनकी रक्षा करती हैं।
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विराजमान हैं द्रौपदी अम्मन
तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में स्थित मेलपदी द्रौपदी अम्मन मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां देवी द्रौपदी को एक योद्धा के रूप में नहीं, बल्कि धैर्य और पवित्रता की देवी के रूप में पूजा जाता है। यहां देवी "द्रौपदी अम्मन" के नाम से विराजमान हैं। यहां 'अम्मन' शब्द का अर्थ है 'मां'। मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण चोल काल में हुआ था। यहां द्रौपदी को समुदाय की संरक्षक देवी माना जाता है।
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मां काली का स्वरूप
तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में स्थित जिंजी द्रौपदी मंदिर स्थापित है, जो ऐतिहासिक जिंजी किले के पास स्थित है। इस मंदिर का इतिहास 300 साल से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। यहां देवी द्रौपदी को मां काली के स्वरूप में पूजा जाता है, जो देवी का एक उग्र, लेकिन रक्षक और न्यायप्रिय रूप भी है।
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