Hanuman Garhi Mandir: जानिए हनुमानगढ़ी मंदिर की महिमा, पांडवों से कैसे जुड़ा है इतिहास
देशभर में ऐसे कई मंदिर स्थापित हैं जिनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं बहुत ही रोचक हैं। नैमिषारण्य में ऐसे कई पवित्र तीर्थ स्थल हैं जिनकी मान्यता दूर-दूर तक फैली है। हनुमान गढ़ी मंदिर नैमिषारण्य के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। आज हम आपको इसी से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम आपको हनुमान गढ़ी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर नैमिषारण्य धाम, सीतापुर में स्थित है। इस मंदिर की कथा रामायण के एक प्रसंग से जुड़ी हुई है, जिसके अनुसार, हनुमान जी ने भगवान राम और लक्ष्मण जी को अहिरावण के चंगुल से छुड़ाया था। चलिए जानते हैं इस अद्भुत मंदिर के बारे में।
क्या है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जब भगवान राम और रावण के बीच युद्ध चल रहा था, तब रावण का एक-एक योद्धा मारा जा रहा था। यह देखकर रावण को लगा कि इस तरह तो वह युद्ध हार जाएगा तब उसने पाताल लोक के शक्तिशाली राजा अहिरावण को सहायता के लिए बुलाया। अहिरावण ने विभीषण का रूप धारण किया और वह भगवान राम और लक्ष्मण को छल से अपने साथ ले आया और उन्हें पाताल लोक ले गया।
(Picture Credit: Freepik)
हनुमान जी और अहिरावण के बीच हुआ युद्ध
जब हनुमान जी को इस बात का पता चला, तो वे भगवान राम और लक्ष्मण जी को छुड़ाने के लिए तुरंत पाताल लोक पहुंच गए। पाताल लोक में, हनुमान जी और अहिरावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में हनुमान ने अहिरावण का वध कर दिया और भगवान राम व लक्ष्मण जी को अपने कंधों पर उठाकर, पाताल लोक से बाहर निकल आए। आज उसी स्थान पर हनुमान गढ़ी मंदिर स्थित है, जहां पाताल लोक से लौटने के बाद हनुमान जी ने पृथ्वी पर पहला कदम रखा था।
पांडवों से जुड़ा है इतिहास
माना जाता है कि द्वापर युग में, पांडव अपने अज्ञातवास के दौरान नैमिषारण्य धाम गए थे। पांडवों ने उसी स्थान पर हनुमान गढ़ी मंदिर का निर्माण करवाया था, जहां पर हनुमान जी भगवान राम और लक्ष्मण जी को अहिरावण के चंगुल से बचाकर पृथ्वी पर प्रकट हुए थे। इस मंदिर के पास ही पांडव किला भी मौजूद है, इसलिए यह माना जाता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय यहां भी व्यतीत किया था।
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मंदिर की खासियत
इस मंदिर की प्रसिद्धि का मुख्य आकर्षण भगवान हनुमान जी की मूर्ति है। इस मूर्ति में हनुमान जी भगवान राम और लक्ष्मण को अपने कंधे पर उठाए हुए नजर आते हैं। वहीं हनुमान जी के पैरो के नीचे अहिरावण है। इस मंदिर को दक्षिणेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि मंदिर के पीठासीन हनुमान जी दक्षिण दिशा की ओर मुख किए हुए हैं।
source - https://sitapur.nic.in/tourist-place/hanuman-gadhi-temple/
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