Lete Hanuman Mandir: संगम किनारे क्यों मिलती है लेटे हुए हनुमान जी की प्रतिमा? जानिए पौराणिक कथा
देशभर में ऐसे कई मंदिर स्थापित हैं जिनसे जुड़ी पौराणिक कथाएं बहुत ही रोचक हैं। आज हम आपको एक ऐसे हनुमान मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी प्रतिमा इस मंदिर को और भी रोचक बनाती है। इस मंदिर व मूर्ति से जुड़ी कई कथाएं मिलती हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जहां अन्य स्थानों पर आपको हनुमान जी की खड़ी हुई प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं, वहीं प्रयागराज (इलाहाबाद) के संगम तट पर हनुमान जी की लेटी हुई अवस्था में प्रतिमा स्थापित है। जब भी कोई व्यक्ति संगम में स्नान करने आता है, तो इस मंदिर दर्शन के बिना उसकी यात्रा अधूरी मानी जाती है।
ये है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद जब हनुमान जी लौट रहे थे, तब रास्ते में उन्हें बहुत थकान महसूस हुई। तब सीता माता ने हनुमान जी से कहा कि उन्हें संगम के तट पर विश्राम करना चाहिए। सीता जी के कहने पर हनुमान जी ने यहां विश्राम किया, जिस कारण इस स्थान इस स्थान पर हनुमान जी की लेटी हुई अवस्था में पूजा की जाती है।
मंदिर से जुड़ी अन्य कथा
मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक अन्य कथा भी मिलती है, जिसके अनुसार, प्राचीन काल में एक व्यापारी नाव में हनुमान जी की इस मूर्ति को लेकर जा रहा था। जब नाव संगम के तट पर पहुंची तो हनुमान जी की यह मूर्ति यहां गिर गई।
व्यापारी ने हनुमान जी की मूर्ति उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इसे हिला तक नहीं पाया। रात में उस व्यापारी को सपना आया, जिसमें हनुमान जी उसे दर्शन देते हुए कहा कि वह इस संगम पर ही विराजमान होना चाहते हैं। तब व्यापारी ने हनुमान जी की इस मूर्ति को यहीं रहने दिया।
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मंदिर की खासियत
यह मंदिर कम-से-कम 600-700 वर्ष पुराना बताया जाता है। लेटे हुए मंदिर में स्थापित प्रतिमा करीब 20 फीट लंबी है। साथ ही यह मूर्ति जमीन से 6-7 फीट नीचे तक जाती है। इस मूर्ति के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण को दबा हुआ दिखाया गया है।
वहीं हनुमान जी के दाएं हाथ पर राम जी और लक्ष्मण जी विराजमान हैं, वहीं बाएं हाथ में गदा है। साथ ही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मंदिर में हनुमान जी को स्नान कराने के लिए स्वयं गंगा जी मंदिर में प्रवेश करती हैं। यह दृश्य बहुत ही अद्भुत होता है।
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