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    Nag Panchami 2025: केवल नाग पंचमी पर ही खुलते हैं इस मंदिर के द्वार, दर्शन से दूर होता है कालसर्प दोष

    आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें दर्शन करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिल सकती है। इसी कारण मंदिर खुलने पर भक्तों की भारी भीड़ यहां जमा होती है। इस मंदिर की खास बात यह है कि पूरे साल में इस मंदिर के पट केवल 24 घंटे के लिए ही खोले जाते हैं। चलिए जानते हैं इस विशेष मंदिर के बारे में।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 18 Jul 2025 01:53 PM (IST)
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    Nag Panchami पर इस मंदिर में लगती है भक्तों की भीड़।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज हम बात कर रहे हैं नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple) की, जो उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है। इस मंदिर की मान्यता दूर-दूर तक फैली हुई है। साल में केवल नाग पंचमी पर ही इस मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, जिसके पीछे एक विशेष कारण भी मिलता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में।

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    कब खुलेंगे मंदिर के द्वार

    इस बार नाग पंचमी (Nag Panchami 2025) 29 जुलाई को मनाई जाएगी। इस प्रकार नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 29 जुलाई को भक्तों के लिए खोले जाएंगे। इस दिन भक्त 24 घंटे भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन का लाभ उठा सकेंगे। नाग पंचमी के दिन, मंदिर में विशेष पूजा और आरती की जाती है और इसके बाद पुनः मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं।

    मंदिर की खासियत

    महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के शिखर पर नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थापित है। यहां पर नाग देवता की जो प्रतिमा स्थापित है, वह 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। साथ ही इसे लेकर कहा जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से भारत लाई गई थी। आपने विष्णु भगवान को ही सर्प शय्या पर विराजमान विराजमान देखा होगा।

    लेकिन यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर हैं, जहां भगवान शिव सर्प शय्या पर विराजमान हैं। इस अद्भुत प्रतिमा में नाग देवता ने अपने फन फैलाए हुए हैं और उसने ऊपर भगवान शिव, माता पार्वती समेत विराजमान हैं। नाग पंचमी के शुभ अवसर पर भगवान नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाती है।

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    केवल एक ही बार खुलने का कारण

    पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार सर्पों के राजा तक्षक ने भगवान शिव की कृपा प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। राजा की इस तपस्या से महादेव अति प्रसन्न हुए और उन्होंने उन्हें अमरत्व का वरदान दिया।

    इसके बाद राजा तक्षक नाग भगवान शिव के सान्निध्य में अर्थात महाकाल वन में ही वास करने लगे। लेकिन राजा की यह इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई विघ्न न आए। यही कारण है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर के द्वार केवल नाग पंचमी पर ही खोले जाते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।