बड़ा ही अद्भुत है Omkareshwar Jyotirlinga, रात में विश्राम करने आते हैं महादेव
देशभर में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध और दिव्य मंदिर स्थापित हैं जिन्हें लेकर अपनी अलग-अलग और अद्भुत मान्यताएं प्रचतिल हैं। आज हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक ऐसे ममलेश्वर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे लेकर कहा जाता है कि यहां रोज रात को महादेव विश्राम के लिए आते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है। आज हम आपको ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कुछ खास बाते बताने जा रहे हैं, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। चलिए जानते हैं इस अद्भुत ज्योतिर्लिंग से जुड़ी मान्यताएं और इसकी खासियत।
कहां स्थित है मंदिर
मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है। यह द्वीप ॐ के आकार जैसा है। साथ ही यहां ममलेश्वर मंदिर भी स्थापित है। ओंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग के आस-पास कुल 68 तीर्थ स्थित हैं। इस मंदिर के आसपास का वातावरण किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है।
शास्त्रों में मिलती है महीमा
सभी तीर्थों के दर्शन के बाद ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने का विशेष महत्व माना गया है। जब तीर्थ यात्री सभी तीर्थों का जल लाकर ओमकारेश्वर में अर्पित करते हैं, तभी सारे तीर्थ पूर्ण माने जाते हैं, अन्यथा भक्त पूर्ण फल से वंचित रह जाता है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा का वर्णन शिव पुराण में भी किया गया है। इस मंदिर की महिमा सौराष्ट्रे सोमनाथं - द्वादश ज्योतिर्लिंग मंत्र में भी मिलती है, जो इस प्रकार है -
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकाल मोङ्कारममलेश्वरम्॥1॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥2॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घृष्णेशं च शिवालये॥3॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रात: पठेन्नर:।
सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति॥4॥
यह भी पढ़ें - Mahakal Aarti Timings: महाकाल मंदिर में कब की जाती है भोग आरती और क्या है धार्मिक महत्व?
क्या हैं मान्यताएं
इस मंदिर को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं, जिसमें से एक यह है कि देवों के देव महादेव तीनों लोकों का भ्रमण करने के पश्चात रोजाना विश्राम के लिए रात्रि में ओंकारेश्वर मंदिर में ही आते हैं। यही कारण है कि इस मंदिर की शयन आरती काफी प्रसिद्ध है।
इसी के साथ मंदिर से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि भगवान शिव और माता पार्वती इस मंदिर में चौसर खेलने आते हैं। इसी वजह से यहां रात्रि के समय चौपड़ बिछाई जाती है और सुबह जब मंदिर के द्वार खोले जाते हैं, तो चौसर के पासे बिखरे हुए मिलते हैं।
यह भी पढ़ें - Mahadev Mandir: इस मंदिर में होती है खंडित शिवलिंग की पूजा, महाभारत काल से कैसे जुड़ा है नाता
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।