Sawan 2025: पांडवों से जुड़ा है इस मंदिर का इतिहास, सावन में उमड़ता है भक्तों का सैलाब
आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें सावन शुरू होते ही भक्तों की भीड़ उमड़ना शुरू कर देती है। साथ ही इस प्राचीन मंदिर की एक खासियत यह भी है कि इसपर कभी छत नहीं टिकती। इसके साथ ही यह भी मान्यता है कि मंदिर में स्थित तालाब में स्नान से चर्म रोग ठीक हो जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का पवित्र महीना पूरी तरह से भगवान शिव की भक्ति के लिए समर्पित माना जाता है। साथ ही इस माह में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली कांवड़ यात्रा की भी शुरुआत हो जाती है।
कांवड़िए हरिद्वार से गंगाजल लाकर सावन शिवरात्रि पर अपने पास के शिवालय में गंगाजल से शिव जी का अभिषेक करते हैं। आज हम आपको एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास 5 हजार साल से भी पुराना है।
कहां स्थित है मंदिर
दिल्ली-मेरठ एनएच-नौ से डासना की ओर जाने वाले रास्ते की तरफ शिव शक्ति धाम डासना स्थित है। मंदिर में 108 किग्रा पारे से बने पारदेश्वरनाथ शिवलिंग के अलावा 109 शिवलिंग स्थापित हैं। यहां मां देवी की प्राचीन मूर्ति व शेर की मूर्ति है।
गुरुकुल भी निर्माणाधीन है। विश्व धर्म संसद के लिए विशाल सभागार बना हुआ है। इसके अलावा पीतांबरी देवी मंदिर भी बना हुआ है। मंदिर में पिछले करीब 20 साल से यति नरसिंहानंद सरस्वती पीठाधीश्वर है।
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मंदिर का इतिहास
डासना देवी मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। कहा जाता है कि महाभारत काल में यहां पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान शरण ली थी। मंदिर में स्थापित शिवलिंग को पुरातत्व विभाग भी प्रमाणित कर चुका है कि यह करीब 5,200 साल पुराना है। शिव शक्ति धाम की ईंटें व क्षतिग्रस्त संरचना मुगलकालीन इतिहास की भी गवाही देती हैं।
मंदिर से जुड़ी विशेषताएं -
मान्यता है कि मंदिर के शिवलिंग व देवी काली के दर्शन से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां काली की मूर्ति कसौटी के पत्थर की है। कहा जाता है कि पुरातन शिवलिंग पर कभी छत नहीं टिकती। हमेशा दरारें आ जाती हैं। मंदिर स्थिति तालाब के बारे में मान्यता है कि इसमें स्नान से चर्म रोग ठीक हो जाता है।
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यति नरसिंहानंद गिरि महाराज, (पीठाधीश्वर, शिव शक्ति धाम, डासना) का कहना है कि भगवान परशुराम द्वारा स्थापित शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए काफी दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं। मंदिर में 108 किलोग्राम पारे से बने पारदेश्वरनाथ महादेव व 109 शिवलिंग स्थापित हैं।
वहीं मंदिर के महंत मां चेतनानंद, बताती हैं कि सावन मास के पहले सोमवार को मंदिर में भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ रही। कई भक्तों की कावड़ यात्रा के लिए निकासी भी हुई है। सावन के सोमवार एवं शिवरात्रि को विशेष तौर पर भीड़ रहती है।
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