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    Urvashi Mandir: कहां स्थित है उर्वशी मंदिर? भगवान विष्णु से जुड़ा है नाता

    Updated: Thu, 22 May 2025 02:30 PM (IST)

    भारत में कई ऐसे मंदिर विराजमान हैं जो अपनी मान्यताओं और प्राचीनता को लेकर दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको उत्तराखंड में स्थित उर्वशी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह मंदिर सौंदर्य की देवी उर्वशी को समर्पित है जो एक अप्सरा के रूप में जानी जाती हैं।

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    Urvashi Mandir: क्यों खास है उर्वशी मंदिर?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड में स्थित उर्वशी मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है, बल्कि दूर-दूर से भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर से जुड़ी कुछ कथाएं भी प्रचलति हैं। चलिए जानते हैं इस मंदिर (Urvashi Mandir History) से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

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    कहां स्थित है मंदिर

    उर्वशी मंदिर, उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर बामणी गांव में स्थित है। यह मंदिर नीलकंठ पर्वत और नारायण पर्वत के बीच स्थित है। बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही उर्वशी मंदिर में भी पूजा-अर्चना शुरू हो जाती है। उर्वशी देवी को स्वर्ग की सबसे सुंदर अप्सराओं में से एक माना जाता है। साथ ही वह सुंदरता और आकर्षण का प्रतीक भी मानी जाती हैं। यह मंदिर अप्सरा उर्वशी को ही समर्पित माना जाता है।

    मिलती है ये कथा

    पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान विष्णु, धाम में तपस्या में लीन थे। इसी दौरान उनकी बाईं जांघ से एक सुंदर और तेजस्विनी अप्सरा प्रकट हुईं, जिसे उर्वशी नाम दिया गया। उर्वशी ने बामणी गांव के निकट कुछ दिन बिताए थे। आज इस स्थान पर देवी उर्वशी को समर्पित एक मंदिर स्थापित है।

     

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    क्या है अन्य कथा

    उर्वशी मंदिर से जुड़ी एक अन्य कथा भी मिलती है, जिसके अनुसार, जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के शरीर को लिए व्याकुल होकर पूरे ब्रह्मांड में विचरण कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के कई टुकड़े कर दिए, जो धरती पर जगह-जगह गिर गए। माना जाता है कि इस दौरान माता सती का एक भाग बामणी गांव में आकर गिरा। बाद में यह मंदिर उर्वशी देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुआ।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।