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    Jyeshtha Amavasya 2025: ज्येष्ठ अमावस्या के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी संकटों से मिलेगा छुटकारा

    Updated: Sun, 25 May 2025 01:03 PM (IST)

    धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2025) के दिन पवित्र नदी में स्नान और पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। साथ ही पितरों की कृपा से रुके हुए काम पूरे होते हैं। इस दिन पूजा के दौरान श्री विष्णु दशावतार स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इससे साधक को शुभ परिणाम मिलते हैं।

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    Jyeshtha Amavasya 2025: कब है ज्येष्ठ अमावस्या (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 मई को ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2025) मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या के दिन स्नान और दान करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है।

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    इस दिन पूजा के दौरान श्री विष्णु दशावतार स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस स्तोत्र का पाठ करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाओं से छुटकारा मिलता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही सभी संकट दूर होते हैं।

    (Pic Credit- Freepik)

    श्री विष्णु दशावतार स्तोत्र

    प्रलयपयोधिजले धृतवानसि वेदम्।

    विहितवहित्रचरित्रमखेदम्॥

    केशव धृतमीनशरीर जय जगदीश हरे॥

    क्षितिरतिविपुलतरे तव तिष्ठति पृष्ठे।

    धरणिधरणकिणचक्रगरिष्ठे॥

    केशव धृतकच्छपरूप जय जगदीश हरे॥

    वसति दशनशिखरे धरणी तव लग्ना।

    शशिनि कलङ्ककलेव निमग्ना॥

    केशव धृतसूकररूप जय जगदीश हरे॥

    तव करकमलवरे नखमद्भुतश‍ृङ्गं।

    दलितहिरण्यकशिपुतनुभृङ्गम्॥

    केशव धृतनरहरिरूप जय जगदीश हरे॥

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    छलयसि विक्रमणे बलिमद्भुतवामन।

    पदनखनीरजनितजनपावन॥

    केशव धृतवामनरूप जय जगदीश हरे॥

    क्षत्रियरुधिरमये जगदपगतपापम्।

    स्नपयसि पयसि शमितभवतापम्॥

    केशव धृतभृगुपतिरूप जय जगदीश हरे॥

    वितरसि दिक्षु रणे दिक्पतिकमनीयम्।

    दशमुखमौलिबलिं रमणीयम्॥

    केशव धृतरघुपतिवेष जय जगदीश हरे॥

    वहसि वपुषि विशदे वसनं जलदाभम्।

    हलहतिभीतिमिलितयमुनाभम्॥

    केशव धृतहलधररूप जय जगदीश हरे॥

    निन्दसि यज्ञविधेरहह श्रुतिजातम्।

    सदयहृदयदर्शितपशुघातम्॥

    केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे॥

    म्लेच्छनिवहनिधने कलयसि करवालम्।

    धूमकेतुमिव किमपि करालम्॥

    केशव धृतकल्किशरीर जय जगदीश हर॥

    श्रीजयदेवकवेरिदमुदितमुदारम्।

    श‍ृणु सुखदं शुभदं भवसारम्॥

    केशव धृतदशविधरूप जय जगदीश हरे॥

    ॥ इति श्रीजयदेवविरचितं श्रीदशावतारस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥

    पितृ मंत्र

    1. ॐ पितृ देवतायै नम:

    2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

    3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

    4. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

    5. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।

    शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

    6. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।