Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Kanakadhara Stotram Lyrics: शुक्रवार के दिन जरूर करें श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ, होगा दरिद्रता का नाश

    Updated: Fri, 26 Dec 2025 09:24 AM (IST)

    हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi blessing) की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और दरिद्रता दूर होती है। श्री कनकधारा स्त ...और पढ़ें

    Hero Image

    Kanakadhara Stotra Lyrics (Picture Credit: Freepik)

    Zodiac Wheel

    वार्षिक राशिफल 2026

    जानें आपकी राशि के लिए कैसा रहेगा आने वाला नया साल।

    अभी पढ़ें

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार को मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है। इस दिन आप मां लक्ष्मी की विशेष पूजा-अर्चना द्वारा उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं। शुक्रवार के दिन आप श्री कनकधारा स्तोत्र (Kanakadhara Stotram Lyrics) का पाठ कर सकते हैं, जो आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ॥ कनकधारा स्तोत्रम् ॥ (Kanakadhara Stotram Lyrics)

    अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।

    अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥1॥

    मुग्धा मुहुर्विदधती वदने मुरारेःप्रेमत्रपा-प्रणहितानि गताऽऽगतानि।

    मालादृशोर्मधुकरीव महोत्पले यासा मे श्रियं दिशतु सागरसम्भवायाः॥2॥

    विश्वामरेन्द्रपद-वीभ्रमदानदक्षआनन्द-हेतुरधिकं मुरविद्विषोऽपि।

    ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणर्द्धमिन्दीवरोदर-सहोदरमिन्दिरायाः॥3॥

    आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दआनन्दकन्दमनिमेषमनङ्गतन्त्रम्।

    आकेकरस्थित-कनीनिकपक्ष्मनेत्रंभूत्यै भवेन्मम भुजङ्गशयाङ्गनायाः॥4॥

    बाह्वन्तरे मधुजितः श्रित कौस्तुभे याहारावलीव हरिनीलमयी विभाति।

    कामप्रदा भगवतोऽपि कटाक्षमाला,कल्याणमावहतु मे कमलालयायाः॥5॥

    कालाम्बुदाळि-ललितोरसि कैटभारे-धाराधरे स्फुरति या तडिदङ्गनेव।

    मातुः समस्तजगतां महनीयमूर्ति-भद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनायाः॥6॥

    प्राप्तं पदं प्रथमतः किल यत् प्रभावान्माङ्गल्यभाजि मधुमाथिनि मन्मथेन।

    मय्यापतेत्तदिह मन्थर-मीक्षणार्धंमन्दाऽलसञ्च मकरालय-कन्यकायाः॥7॥

    दद्याद् दयानुपवनो द्रविणाम्बुधारामस्मिन्नकिञ्चन विहङ्गशिशौ विषण्णे।

    दुष्कर्म-घर्ममपनीय चिराय दूरंनारायण-प्रणयिनी नयनाम्बुवाहः॥8॥

    इष्टाविशिष्टमतयोऽपि यया दयार्द्र दृष्ट्यात्रिविष्टपपदं सुलभं लभन्ते।

    दृष्टिः प्रहृष्ट-कमलोदर-दीप्तिरिष्टांपुष्टिं कृषीष्ट मम पुष्करविष्टरायाः॥9॥

    गीर्देवतेति गरुडध्वजभामिनीतिशाकम्भरीति शशिशेखर-वल्लभेति।

    सृष्टि-स्थिति-प्रलय-केलिषु संस्थितायैतस्यै नमस्त्रिभुवनैकगुरोस्तरुण्यै॥10॥

    श्रुत्यै नमोऽस्तु नमस्त्रिभुवनैक-फलप्रसूत्यैरत्यै नमोऽस्तु रमणीय गुणाश्रयायै।

    शक्त्यै नमोऽस्तु शतपत्र निकेतनायैपुष्ट्यै नमोऽस्तु पुरुषोत्तम-वल्लभायै॥11॥

    नमोऽस्तु नालीक-निभाननायैनमोऽस्तु दुग्धोदधि-जन्मभूत्यै।

    नमोऽस्तु सोमामृत-सोदरायैनमोऽस्तु नारायण-वल्लभायै॥12॥

    नमोऽस्तु हेमाम्बुजपीठिकायैनमोऽस्तु भूमण्डलनायिकायै।

    नमोऽस्तु देवादिदयापरायैनमोऽस्तु शार्ङ्गायुधवल्लभायै॥13॥

    नमोऽस्तु देव्यै भृगुनन्दनायैनमोऽस्तु विष्णोरुरसि स्थितायै।

    नमोऽस्तु लक्ष्म्यै कमलालयायैनमोऽस्तु दामोदरवल्लभायै॥14॥

    नमोऽस्तु कान्त्यै कमलेक्षणायैनमोऽस्तु भूत्यै भुवनप्रसूत्यै।

    नमोऽस्तु देवादिभिरर्चितायैनमोऽस्तु नन्दात्मजवल्लभायै॥15॥

    सम्पत्कराणि सकलेन्द्रिय-नन्दनानिसाम्राज्यदान विभवानि सरोरुहाक्षि।

    त्वद्-वन्दनानि दुरिताहरणोद्यतानिमामेव मातरनिशं कलयन्तु नान्यत्॥16॥

    यत्कटाक्ष-समुपासनाविधिःसेवकस्य सकलार्थसम्पदः।

    सन्तनोति वचनाऽङ्गमानसैःस्त्वां मुरारि-हृदयेश्वरीं भजे॥17॥

    सरसिज-निलये सरोजहस्तेधवळतरांशुक-गन्ध-माल्यशोभे।

    भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञेत्रिभुवन-भूतिकरि प्रसीद मह्यम्॥18॥

    दिग्घस्तिभिः कनककुम्भमुखावसृष्टस्वर्वाहिनीविमलचारु-जलप्लुताङ्गीम्।

    प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेषलोकाधिराजगृहिणीम मृताब्धिपुत्रीम्॥19॥

    कमले कमलाक्षवल्लभेत्वं करुणापूर-तरङ्गितैरपाङ्गैः।

    अवलोकय मामकिञ्चनानांप्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयायाः॥20॥

    स्तुवन्ति ये स्तुतिभिरमीभिरन्वहंत्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।

    गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनोभवन्ति ते भुविबुधभाविताशयाः॥21॥

    ॥ श्रीमदाध्यशङ्कराचार्यविरचितं श्री कनकधारा स्तोत्रम् समाप्तम् ॥

    Kanakadhara Stotra AI

    (AI Generated Image)

    पाठ करने की सही विधि

    • श्री कनकधारा स्तोत्र का पाठ सुबह ब्रह्म मुहूर्त में या शाम को सूर्यास्त के समय करना सबसे उत्तम माना गया है। साथ ही शुक्रवार के दिन भी इसका पाठ विशेष फलदायी है।
    • इस पाठ के लिए सबसे पहले पूजा घर में माता लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाकर बैठें।
    • पाठ करते समय अपना पूरा ध्यान माता लक्ष्मी के चरणों में रखें और स्तोत्र का शुद्ध उच्चारण करें।
    • यदि आप संस्कृत नहीं पढ़ सकते, तो श्री कनकधारा स्तोत्र का हिंदी अनुवाद भी पढ़ सकते हैं। इसे भी उतना ही प्रभावशाली माना जाता है।

    यह भी पढ़ें - शाम को तुलसी के पास क्यों जलाते हैं दीपक? इस एक चूक से रूठ सकती हैं मां लक्ष्मी

    यह भी पढ़ें - Friday Tips: क्या सच में शुक्रवार को इन चीजों के सेवन से छा जाती है कंगाली? रूठ जाती हैं मां लक्ष्मी

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।