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    Lord Shani Dev Puja: शनिवार की पूजा इस आरती के बिना है अधूरी, यहां जानें आरती और मंत्र

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Sat, 20 Jan 2024 07:30 AM (IST)

    शनिवार के दिन विधिपूर्वक शनि देव की पूजा-व्रत करने से इंसान को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के संकट और दुख से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी ...और पढ़ें

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    Lord Shani Puja: शनिवार की पूजा इस आरती के बिना है अधूरी, यहां जानें आरती और मंत्र

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shani Dev Aarti and Mantra: ज्योतिष शास्त्र में भगवान शनि की पूजा करना बेहद फलदायी मानी गई है। शनिवार का दिन भगवान शनि देव को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक शनि देव की पूजा-व्रत करने से इंसान को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन के संकट और दुख से छुटकारा मिलता है। अगर आप भी शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो शनिवार के दिन पूजा के दौरान निम्न आरती और मंत्रों का जाप करें। कहा जाता है कि इन मंत्रों के उच्चारण और आरती करने से साधक को जीवन में व्याप्त सभी तरह के दुख और संकट दूर होते हैं। आइए पढ़ते हैं भगवान शनि देव की आरती और मंत्र, जिससे भगवान शनि देव प्रसन्न होंगे।

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    शनि देव की आरती (Shani Dev Aarti Lyrics)

    जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

    सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

    जय जय श्री शनि देव....

    श्याम अंग वक्र-दृ‍ष्टि चतुर्भुजा धारी।

    नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥

    जय जय श्री शनि देव....

    क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

    मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

    जय जय श्री शनि देव....

    मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

    लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

    जय जय श्री शनि देव....

    देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

    विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

    जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

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    शनि देव के मंत्र  (Shani Dev Mantra)

    1. ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।

    ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।

    ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।

    2. ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्।

    3.अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।

    दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।

    गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।

    आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।

    4. ॐ नीलाजंन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।

    छाया मार्तण्ड सम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।।

    5.ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।

    कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।

    शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।

    दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।