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    Radha Ashtami पर राधा जी की कृपा प्राप्ति के लिए करें इन मंत्रों का जप, कान्हा जी भी बरसाएंगे कृपा

    ऐसी मान्यता है कि राधे-राधे जपने से साधक को राधा रानी के साथ-साथ कान्हा जी की कृपा भी मिलती है। ब्रज मंडल में राधा अष्टमी का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में आप इस शुभ अवसर पर राधा जी के इन मंत्रों व स्तुति का पाठ कर राधा रानी संग मुरलीधर की भी कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Sat, 23 Aug 2025 06:00 PM (IST)
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    Radha Ashtami 2025: (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि (Radha Ashtami 2025) पर राधा अष्टमी मनाई जाती है। इस अवसर पर कई साधक व्रत का पालन करते हैं और विशेष पूजा-पाठ से राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन पर राधा जी की पूजा मध्याह्न काल में की जाती है। चलिए जानते हैं राधा अष्टमी की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।

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    राधा अष्टमी का शुभ मुहूर्त (Radha Ashtami Muhurat)

    भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 30 अगस्त को रात 10 बजकर 46 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 1 सितम्बर को देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, राधा अष्टमी रविवार 31 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन राधा रानी की पूजा का मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा -

    राधा रानी की पूजा का समय - सुबह 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक

    राधा अष्टमी का महत्व

    पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि राधा जी का जन्म वृषभानुजी और कीर्तिजी के यहां हुआ था। राधा अष्टमी को लेकर ऐसी मान्यता है कि जो भी साधक इस दिन पर सच्चे मन से व्रत और राधा रानी का पूजन करता है, उसे राधा जी के साथ-साथ भगवान कृष्ण की भी कृपा मिलती है। साथ ही इस दिन भगवान कृष्ण व राधा रानी के मंत्रों का जप करने से साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    श्री राधा स्तुति -

    नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।

    रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।

    नमस्त्रैलोक्यजननि प्रसीद करुणार्णवे।

    ब्रह्मविष्ण्वादिभिर्देवैर्वन्द्यमान पदाम्बुजे।।

    नम: सरस्वतीरूपे नम: सावित्रि शंकरि।

    गंगापद्मावनीरूपे षष्ठि मंगलचण्डिके।।

    नमस्ते तुलसीरूपे नमो लक्ष्मीस्वरुपिणी।

    नमो दुर्गे भगवति नमस्ते सर्वरूपिणी।।

    मूलप्रकृतिरूपां त्वां भजाम: करुणार्णवाम्।

    संसारसागरादस्मदुद्धराम्ब दयां कुरु।।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    राधा जी के मंत्र

    1. ॐ ह्रीं श्री राधिकायै नम:

    2. ऊं ह्नीं राधिकायै नम:

    3. ऊं ह्नीं श्रीराधायै स्‍वाहा।

    4. श्री राधायै स्‍वाहा।

    5. नमस्ते परमेशानि रासमण्डलवासिनी।

    रासेश्वरि नमस्तेऽस्तु कृष्ण प्राणाधिकप्रिये।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।