Shani Dev Aarti: इस विधि से करें शनि देव की आरती, नए साल में रुके हुए काम जल्द होंगे पूरे
सनातन धर्म में शनिवार का दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए बेहद शुभ माना जाता है। यदि आप भगवान शनि देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो शनिवार के दि ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shaniwar Ke Upay: शनि देव को न्याय के देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से शनि देव की पूजा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और शनि देव प्रसन्न होते हैं। इस दिन विधिपूर्वक शनि देव की आरती करनी चाहिए। साथ ही विशेष चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। शनि देव की उपासना करने से आर्थिक तंगी खत्म होती है। सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। आइए पढ़ते हैं शनि देव की आरती।
इस विधि से करें शनि देव की आरती
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें।
- इसके बाद विधिपूर्वक दीपक जलाकर शनि देव की पूजा करें।
- सच्चे मन से आरती और मंत्रों का जप करें।
- जीवन में सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए कामना करें।
- अंत में भोग लगाकर में लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
- श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करें।
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॥ शनि देव की आरती॥
''जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....
श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....
क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....
जय जय श्री शनि देव....
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।
जय जय श्री शनि देव''....
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भगवान शनिदेव के मंत्र
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
शनिदेव का वैदिक मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
शनि गायत्री मंत्र
ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
शनि आह्वान मंत्र
नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||
शनि आरोग्य मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
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