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    Wednesday Special: बुधवार के दिन जरूर करें श्रीगणेश चालीसा का पाठ, दूर होगी जीवन की हर बाधा

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 02:17 PM (IST)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बुधवार के दिन श्रीगणेश चालीसा का पाठ करने से साध के जीवन के सभी बाधाएं दूर होती हैं। जो भक्त रोजाना खासकर बुधवार (Wednesd ...और पढ़ें

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    Shree Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत में सबसे पहले भगवान गणेश (Lord Ganesha) की ही पूजा की जाती है, ताकि वह कार्य बिना किसी बाधा के पूरा हो सके। यही कारण है कि गणेश जी को 'प्रथम पूज्य' व 'विघ्नहर्ता' कहा जाता है।

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    बुधवार का दिन गणपति जी की आराधना के लिए समर्पित है। ऐसे में आप इस दिन पर श्रीगणेश चालीसा (Shree Ganesh Chalisa) का पाठ करके भगवान गणेश जी की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। चलिए पढ़ते हैं श्री गणेश चालीसा। 

    श्री गणेश चालीसा (Shree Ganesh Chalisa Lyrics in Hindi)

    (दोहा) जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल। विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

    (चौपाई) जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥ जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥ वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥ राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

    पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥ सुन्दर पीताम्बर तन साजे। चरण पादुका मुनि मन राजें॥ धनि शिव सुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विख्याता॥ ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुढारे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

    कहौ जन्म शुभ-कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगलकारी॥ एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी॥ भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुँच्यो तुम धरि द्विज रूपा॥ अतिथि जानि कै गौरि सुखारी। बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥

    अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥ मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥ गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥ अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पालना पर बालक स्वरूप ह्वै॥

    बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥ सकल मगन, सुखमंगल गावहिं। नभ ते सुरन् सुमन वर्षावहिं॥ शम्भु उमा बहु दान लुटावहिं। सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥ लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आये शनि राजा॥

    निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक, देखन चाहत नाहीं॥ गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो॥ कहन लगे शनि, मन सकुचाई। का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥ नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ। शनि सों बालक देखन कहऊ॥

    पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥ गिरिजा गिरी विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहीं वरणी॥ हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥ तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाये। काटि चक्र सो गज सिर लाये॥

    बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥ नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वर दीन्हे॥ बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥ चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई॥

    चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिणा कीन्हें॥ धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन् सुमन बहु बरषे॥ तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहसमुख सके न गाई॥ मैं मतिहीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन विधि विनय तुम्हारी॥

    भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। जग प्रयाग, ककरा, दर्वासा॥ अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै॥

    (दोहा) श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान। नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥ सम्बन्ध अपने सहस्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश। पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश॥

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    (AI Generated Image)

    समझें गणेश चालीसा का सार (Key Meaning & Significance)

    गणेश चालीसा में भगवान गणेश के जन्म और उनकी महिमा का वर्णन है। यहां कुछ मुख्य पंक्तियों का अर्थ दिया गया है -

    1. मंगलकारी रूप (Auspiciousness) -

    "जय जय जय गणपति गणराजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥"अर्थ: देवताओं के राजा श्री गणेश जी की जय हो। आप सभी शुभ कार्यों को पूरा करने वाले और मंगल करने वाले हैं।

    2. बुद्धि और ज्ञान (Wisdom) -

    "विश्व विनायक बुद्घि विधाता... प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वर दीन्हे॥"अर्थ: आप पूरे विश्व के विनायक हैं और बुद्धि के देवता हैं। भगवान शिव ने आपको प्रथम पूज्य और बुद्धि का भंडार होने का वरदान दिया है।

    3. मनोकामना पूर्ति (Fulfillment of Desires) -

    "श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान। नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥"अर्थ: जो व्यक्ति ध्यान लगाकर इस चालीसा का पाठ करता है, उसके घर में रोज नया मंगल (खुशियां) होता है और उसे जगत में सम्मान मिलता है।

    अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

    प्रश्न 1: गणेश चालीसा का पाठ किस दिन करना चाहिए?

    उत्तर: वैसे तो आप रोजाना पाठ कर सकते हैं, लेकिन बुधवार (Wednesday) और चतुर्थी तिथि को इसका पाठ करना विशेष फलदायी होता है।

    प्रश्न 2: गणेश जी को क्या चढ़ाना सबसे शुभ होता है?

    उत्तर: गणेश जी को दूर्वा (घास) और मोदक सबसे अधिक प्रिय हैं। इसके अलावा गुड़हल (Hibiscus) का फूल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है।

    प्रश्न 3: क्या महिलाएं गणेश चालीसा पढ़ सकती हैं?

    उत्तर: जी हां, महिलाएं पूर्ण श्रद्धा के साथ गणेश चालीसा का पाठ कर सकती हैं।

    प्रश्न 4: पूजा में 'श्री गणेशाय नमः' मंत्र का क्या महत्व है?

    Ans: यह बीज मंत्र है। चालीसा शुरू करने से पहले इस मंत्र का 108 बार जाप करने से मन एकाग्र होता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।