पूजा करते समय क्यों बजाई जाती है घंटी, जानिए इससे क्या होता है लाभ
मान्यता है कि घंटी की ध्वनि देवताओं को प्रसन्न करती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है। यह वातावरण को सकारात्मक बनाती है और मन को शांत करती है जिससे पूजा में एकाग्रता बढ़ती है। स्कंद पुराण के अनुसार घंटी की ध्वनि ॐ के समान होती है जिससे पुण्य मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पूजा करते समय घंटी बजाना महत्वपूर्ण धार्मिक प्रथा है। इसका गहरा महत्व है। घंटी की ध्वनि को शुभ माना जाता है और माना जाता है कि यह देवी-देवताओं को प्रसन्न करती है। इसके साथ ही यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और वातावरण में मौजूद हानिकारक जीवाणुओं को नष्ट करने में मदद करती है।
इस वजह से घंटी की ध्वनि सकारात्मक वातावरण बनाने में मदद करती है। घंटी की ध्वनि को देवी-देवताओं को जागृत करने और उनका ध्यान आकर्षित करने का एक तरीका माना जाता है। इसके साथ ही पूजा में एकाग्रता बढ़ाने में मदद करती है। दरअसल, घंटी बजाने से मन शांत होता है।
स्कंद पुराण के अनुसार घंटी बजाने से ‘ॐ’ के समान ध्वनि निकलती है। इसलिए जब कोई मंदिर में घंटी बजाता है, तो उसको ‘ॐ’ के उच्चारण के समान पुण्य मिलता है। कहते हैं कि जब सृष्टि के सृजन के समय जो आवाज गूंजी थी वह घंटी की आवाज की तरह थी। घंटी की आवाज को उसी नाद का प्रतीक माना जाता है।
घंटी बजाने के नियम
मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी बजाना शुभ माना जाता है। यह घंटी भगवान के सामने आपकी हाजिरी लगाने का एक तरीका भी है। साथ ही भगवान का ध्यान आपकी ओर आकर्षित हो, इस उद्देश्य को भी पूरा करती है। इसके बाद पूजा करने के दौरान घंटी बजानी चाहिए। रात में शयन आरती करने के बाद मंदिर में घंटी नहीं बजानी चाहिए।
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साउंड हीलिंग में भी होता है इस्तेमाल
दरअसल, घंटी की ध्वनि एक विशिष्ट आवृत्ति उत्पन्न करती है, जो शरीर और मन पर शांत प्रभाव डालती है। इसी वजह से साउंड हीलिंग में भी घंटी का इस्तेमाल किया जाता है। अलग-अलग आकार की घंटियों से अलग-अलग तरह की आवाज निकलती है, जो मस्तिष्क को राहत देती है। इसके अलावा घंटी को शुभता और समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है।
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