Aaj ka Panchang 15 October 2025: आज है कार्तिक माह की नवमी तिथि, बन रहे कई योग, पढ़ें पंचांग
Aaj ka Panchang 15 अक्टूबर 2025 के अनुसार, आज यानी 15 अक्टूबर को बुधवार पड़ रहा है। सनातन धर्म में बुधवार का दिन गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। दीवाली के पहले बुधवार के दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए एस्ट्रोलॉजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का पंचांग।

Aaj ka Panchang 15 October 2025: आज का पंचांग
आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 15 अक्टूबर को कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। इसी तिथि पर भगवान भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जा रही है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, गणपति बप्पा की पूजा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही बिगड़े काम पूरे होते हैं। आज कई शुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 15 October 2025) के बारे में।
तिथि: कृष्ण नवमी
मास पूर्णिमांत: कार्तिक
दिन: बुधवार
संवत्: 2082
तिथि: कृष्ण नवमी प्रात: 10 बजकर 33 मिनट तक
योग : 16 अक्टूबर को साध्य प्रात: 02 बजकर 57 मिनट तक
करण : गरज प्रात: 10 बजकर 33 मिनट तक
करण : वणिज रात्रि 10 बजकर 29 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 22 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 51 मिनट पर
चंद्रमा का उदय: 16 अक्टूबर को रात्रि 01 बजकर 28 मिनट पर
चन्द्रास्त: प्रातः 02 बजकर 33 मिनट पर
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: कर्क
पक्ष: कृष्ण
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त : कोई नहीं
अमृत काल : 16 अक्टूबर को प्रात: 01 बजकर 10 मिनट से 02 बजकर 49 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहुकाल : प्रात: 12 बजकर 07 बजे से प्रात: 01 बजकर 33 मिनट तक
गुलिकाल : प्रात: 10 बजकर 40 बजे से दोपहर 12 बजकर 07 मिनट तक
यमगण्ड : प्रात: 07 बजकर 48 बजे से प्रात: 09 बजकर 14 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पुष्य नक्षत्र में रहेंगे…
पुष्य नक्षत्र- प्रात: 12:00 बजे तक
सामान्य विशेषताएं: पोषक, सहायक, संवेदनशील, आत्मनिर्भर, धैर्यशील, परिश्रमी, शांतचित्त, बुद्धिमान, कर्तव्यनिष्ठ, नियमपालक, धर्मपरायण, उदार और परोपकारी।
नक्षत्र स्वामी: शनि देव
राशि स्वामी: चंद्र देव
देवता: बृहस्पति देव
प्रतीक: कमल या गाय का थन
भगवान गणेश के मंत्र
1.'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
2.ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
3. ॐ हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।
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