Aaj ka Panchang 24 July 2025: हरियाली अमावस्या पर बन रहे कई अद्भुत संयोग, पंचांग से जानें स्नान का समय
हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya 2025) का दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए खास माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान-दान और पिंडदान तर्पण करने से पितृ दोष की समस्या दूर होती है। ऐसे में आइए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 24 July 2025) पंचांग।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या (amavasya tithi 2025) मनाई जा रही है। इस दिन महादेव और पितरों की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और पितरों की उपासना करने से पूर्वजों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में आ रहे दुख और संकट से छुटकारा मिलता है।
हरियाली अमावस्या के दिन (Hariyali Amavasya 2025 Shubh Yog) का महासंयोग बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं हरियाली अमावस्या का पंचांग (Aaj ka Panchang 24 July 2025) और शुभ-अशुभ (Hariyali Amavasya 2025 Shubh Muhurat) योग के बारे में।
तिथि: कृष्ण अमावस्या
मास पूर्णिमांत: सावन
दिन: गुरुवार
संवत्: 2082
तिथि: 25 जुलाई को अमावस्या रात्रि 12 बजकर 40 मिनट तक
योग: हर्षण प्रातः 09 बजकर 51 मिनट तक
करण: चतुष्पद दोपहर 01 बजकर 31 मिनट तक
करण: 25 जुलाई को नागव रात्रि 12 बजकर 40 मिनट तक
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सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 38 मिनट पर
सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
चन्द्रास्त: शाम 07 बजकर 16 मिनट पर
सूर्य राशि: कर्क
चंद्र राशि: मिथुन
पक्ष: कृष्ण
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 55 मिनट तक
अमृत काल: दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 58 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहु काल: दोपहर 02 बजकर 10 मिनट से 03 बजकर 52 मिनट तक
गुलिक काल: प्रातः 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 45 मिनट तक
यमगण्ड काल: प्रातः 05 बजकर 38 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करेंगे..
पुनर्वसु नक्षत्र: सायं 04:43 बजे तक
सामान्य विशेषताएं: ज्ञानवान, आशावादी, आत्मविश्वासी, आकर्षक, आध्यात्मिक, धार्मिक, संवाद में कुशल, बुद्धिमान, संतुलित, कल्पनाशील, दयालु और करुणामयी।
नक्षत्र स्वामी: बृहस्पति
राशि स्वामी: बुध और चंद्रमा
देवी: अदिति
प्रतीक: धनुष और तरकश
पितृ के मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:।
2. ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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