Aaj Ka Panchang 27 April 2025: वैशाख अमावस्या पर बन रहे हैं ये शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और पढ़ें पंचांग
आज वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि देर रात 01 बजकर 06 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 27 April 2025) और राहुकाल का समय जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang Vaishakh Amavasya 2025: आज वैशाख अमावस्या मनाई जा रही है। यह दिन पितरों को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन ( 27 April 2025 Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 27 April 2025: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि देर रात 01 बजकर 06 मिनट तक रहेगी।
ऋतु - ग्रीष्म
चन्द्र राशि - मेष
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 59 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 46 मिनट पर
चन्द्रोदय - नहीं
चन्द्रास्त - शाम 06 बजकर 24 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग - सुबह 05 बजकर 44 मिनट से अगले दिन मध्य रात्रि 12 बजकर 38 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 17 मिनट से 05 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 48 मिनट से 07 बजकर 10 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक।
अशुभ समय
राहु काल - दोपहर 05 बजकर 16 मिनट से 06 बजकर 55 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 03 बजकर 41 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक।
दिशा शूल - पश्चिम
ताराबल
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती।
चन्द्रबल
मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ।
करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ पितृ देवतायै नम:।।
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।।
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।
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