Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Aaj ka Panchang 27 May 2025: बड़े मंगल के दिन शनि जयंती का संयोग, पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त

    Updated: Tue, 27 May 2025 08:12 AM (IST)

    ज्योतिष दृष्टि से आज का दिन बहुत ही खास माना जा रहा है क्योंकि आज ज्येष्ठ अमावस्या के मौके पर शनि जयंती मनाई जा रही है। साथ ही आज ज्येष्ठ माह का तीसरा बड़ा मंगलवार भी है। ऐसे में यह दिन शनिदेव और हनुमान जी की कृपा प्राप्ति के लिए बेहद खास है। चलिए पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का पंचांग।

    Hero Image
    Aaj ka Panchang 27 May 2025 Jyeshtha Amavasya and Shani Jayanti

    आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज मंगलवार 27 मई के दिन ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि है। पंचांग के अनुसार, इस तिथि पर बहुत से शुभ और अशुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 27 May 2025) पंचांग और शुभ-अशुभ के विषय में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    आज का पंचांग (Panchang 27 May 2025)

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि- सुबह 8 बजकर 31 मिनट तक  

    संवत - 2082

    नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा

    योग - सुकर्मा रात 10 बजकर 54 बजे तक

    करण

    किंस्तुघ्न - शाम 6 बजकर 45 मिनट तक

    बव - 28 मई प्रातः 5 बजकर 02 मिनट तक

    वार - मंगलवार

    ऋतु - ग्रीष्म

    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय - सुबह 5 बजकर 25 मिनट पर

    सूर्यास्त- शाम 7 बजकर 12 मिनट पर

    चंद्रोदय- कोई समय नहीं

    चंद्रास्त- शाम 7 बजकर 49 मिनट पर

    शुभ समय

    अभिजीत मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक

    अशुभ समय

    राहुकाल - दोपहर 3 बजकर 45 मिनट से दोपहर 5 बजकर 28 मिनट तक

    गुलिक काल - दोपहर 12 बजकर 18 मिनट से दोपहर 2 बजकर 2 मिनट तक

    यमगंडा - सुबह 8 बजकर 52 मिनट से सुबह 10 बजकर 35 मिनट तक

    आज का नक्षत्र

    आज चंद्रदेव कृतिका नक्षत्र में प्रवेश करेंगे

    कृतिका नक्षत्र - प्रात: 05 बजकर 32 बजे तक

    सामान्य विशेषताएं- आध्यात्मिक झुकाव, प्रेरणादायक, ऊर्जावान, वाद-विवाद में रुचि चालाक, झगड़ालू स्वभाव, कामुख

    नक्षत्र स्वामी - सूर्य

    राशि स्वामी - मंगल और शुक्र

    देवता - अग्नि

    प्रतीक - भाला

    आज का व्रत\त्योहार

    शनि जयंती

    शनि जयंती हिन्दू धर्म में भगवान शनिदेव के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, जिन्हें न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शनिदेव की पूजा करते हैं और उन्हें तेल, काले तिल, काले कपड़े और नीले फूल अर्पित करते हैं। माना जाता है कि शनि जयंती पर पूजा करने से जीवन की कठिनाइयां, बाधाएं और शनि दोष जैसे साढ़ेसाती या ढैय्या के प्रभाव कम हो सकते हैं। इस वर्ष शनि जयंती 27 मई मंगलवार को पड़ रही है।

    शनि जयंती पर भूल से भी न करें ये काम...

    • किसी का अपमान न करें।
    • बाल और नाखून न काटें।
    • तामसिक भोजन से बचें।
    • क्रोध और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

    शनि जयंती व्रत की पूजा विधि-

    • शनि जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नहाने के जल में काले तिल मिलाएं और स्नान के बाद साफ-सुथरे वस्त्र पहनें (काले या नीले वस्त्र शुभ रहेंगे।
    • अपने घर के मंदिर में शनिदेव की प्रतिमा के सामने सरसों का तेल, काले तिल, उड़द, लौंग, और नीले फूल अर्पित करें।
    • शनि मूर्ति पर तेल चढ़ाते हुए "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जप करें।
    • शनि देव को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्र का 108 बार जप करें:
    • यह मंत्र जीवन की कठिनाइयों को शांत करता है।
    • घर पर या मंदिर में बैठकर श्रद्धा भाव से शनि चालीसा का पाठ करें और शनि जयंती की कथा सुनें या पढ़ें।
    • इसके बाद लोहा, काले वस्त्र, काले जूते, काले तिल, तेल, और जामुन का दान करें।
    • शाम के समय शनि देव को तिल, गुड़, खिचड़ी, काले तिल से बनी चीजों का भोग लगाएं।
    • इसके बाद खुद प्रसाद ग्रहण करके अपने व्रत को पूर्ण करें।

    ज्येष्ठ अमावस्या

    हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बहुत महत्वपूर्ण और पुण्य फल देने वाला माना जाता है। इस दिन अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से स्नान, दान, तर्पण और पूजा करता है, तो उसे पापों से मुक्ति और पितरों का आशीर्वाद मिलता है। ज्येष्ठ अमावस्या का दिन पितरों को समर्पित होता है। साथ ही यह दिन शनि जयंती और शनि अमावस्या के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस दिन का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।

    ज्येष्ठ अमावस्या अवधि-

    अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 26 मई  दोपहर 12 बजकर 11 बजे से

    अमावस्या तिथि समाप्त- 27 मई सुबह 8 बजकर 31 बजे तक

    यह भी पढ़ें - Shani Jayanti 2025: दुर्लभ कृत्तिका और रोहिणी नक्षत्र में मनाई जाएगी शनि जयंती, मिलेगा अक्षय फल

    ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि-

    • सुबह जल्दी उठें और स्नान करें, यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें।
    • यदि बाहर जाना संभव न हो तो गंगाजल मिलाकर घर पर स्नान करें।
    • तांबे के लोटे में जल लें और उसमें लाल फूल, चावल और हल्दी मिलाएं।
    • इसके बाद पूर्व दिशा में मुख करके सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें।
    • अपने पितरों की शांति के लिए कुश, तिल और जल से तर्पण करें और किसी पुरोहित की सहायता से पिंडदान करें।
    • इसके बाद पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाएं, जल अर्पित करें, हल्दी, रोली और पुष्प चढ़ाएं। 7 या 11 बार परिक्रमा करें।

    ज्येष्ठ अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व-

    • ज्येष्ठ अमावस्या का ज्योतिषीय महत्व बहुत खास होता है, क्योंकि यह दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों के प्रभावों से जुड़ा होता है।
    • इस दिन चंद्रमा पूरी तरह से अस्त होता है, जिससे मानसिक और भावनात्मक शुद्धि के लिए यह समय उपयुक्त होता है।
    • अमावस्या तिथि को पितरों और अदृश्य ग्रह दोषों को शांत करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
    • ज्येष्ठ माह गर्म और ऊर्जावान होता है, जो शनि जैसे धीमे और गुप्त ग्रह के लिए विशेष संयोग बनाता है।
    • पितृ दोष, शनि दोष, कालसर्प योग, और पूर्व जन्म के कर्मों के प्रभाव को शांत करने के लिए इस दिन की पूजा बेहद लाभकारी होती है।
    • इस दिन ध्यान, मंत्र जाप और उपवास करने से ग्रहों की अशांति दूर होती है और जीवन में स्थिरता आती है।

    यह भी पढ़ें - Bada Mangal 2025 3rd: तीसरे बड़े मंगल पर जरूर करें देवी तुलसी की पूजा, मिलेगी प्रभु श्रीराम की कृपा

    यह दैनिक पंचांग Astropatri.com के सौजन्य से प्रस्तुत है। सुझाव व प्रतिक्रियाओं के लिए hello@astropatri.com पर ईमेल करें।