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    Aaj ka Panchang 08 August 2025: आज है वरलक्ष्मी व्रत, पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त और राहुकाल का समय

    पंचांग के अनुसार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत किया जाता है। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति के लिए यह व्रत बहुत ही खास माना जाता है। साथ ही आज के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। चलिए एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक जी से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 8 August 2025) पंचांग।

    By Digital Desk Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 08 Aug 2025 07:51 AM (IST)
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    Aaj ka Panchang 08 August 2025 पढ़ें आज का पंचांग।

    आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी शुक्रवार 8 अगस्त के दिन वरलक्ष्मी व्रत किया जा रहा है। मां लक्ष्मी को समर्पित यह व्रत सौभाग्य, सुख-समृद्धि और धन आदि की प्राप्ति के लिए किया जाता है। ऐसे में चलिए पंचांग (Panchang 8 August 2025) से जानते हैं आज के शुभ मुहूर्त और राहुकाल के बारे में।

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    आज का पंचाग

    सावन (श्रावन) माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त -  दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक

    आयुष्मान योग - 9 अगस्त प्रातः 4 बजकर 9 मिनट तक

    करण -

    वणिज - दोपहर 2 बजकर 12 मिनट तक

    विष्टि - रात देर 1 बजकर 52 मिनट तक (9 अगस्त)

    वार - शुक्रवार

    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय - सुबह 5 बजकर 46 मिनट से

    सूर्यास्त - शाम 7 बजकर 7 मिनट पर

    चंद्रोदय - शाम 6 बजकर 42 मिनट से

    चंद्रास्त - प्रातः 5 बजकर 28 मिनट पर (9 अगस्त)

    सूर्य राशि - कर्क

    चंद्र राशि -  मकर

    शुभ समय

    अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक

    अमृत काल - सुबह 7 बजकर 57 मिनट से सुबह 9 बजकर 35 मिनट तक

    अमृत काल - प्रातः 4 बजकर 1 से प्रातः 5 बजकर 37 मिनट तक (9 अगस्त)

    अशुभ समय

    राहु काल - सुबह 10 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक

    गुलिक काल -  सुबह 7 बजकर 26 मिनट से सुबह 9 बजकर 6 मिनट तक

    यमगंड काल - दोपहर 3 बजकर 47 मिनट से शाम 5 बजकर 27 मिनट तक

    आज का नक्षत्र

    आज भी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहेंगे…

    उत्तराषाढ़ा नक्षत्र - दोपहर 02:28 बजे तक

    सामान्य विशेषताएं - परिश्रमी, धैर्यवान, मजबूत, गठीला शरीर, लंबी नाक, तीखे नयन-नक्श, दयालु, अच्छे भोजन और संगति के शौकीन, ईमानदार, विश्वसनीय, बुद्धिमान और दूरदर्शी

    नक्षत्र स्वामी - सूर्य

    राशि स्वामी - बृहस्पति, शनि

    देवता - विश्वदेव (अप्रतिद्वंद्वी विजय के देवता)

    प्रतीक - हाथी का दांत या छोटा बिस्तर

    वरलक्ष्मी व्रत -

    वरलक्ष्मी व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुक्रवार को मनाया जाता है। यह व्रत सौभाग्य, सुख-समृद्धि, धन, संतान और वैवाहिक सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। "वरलक्ष्मी" मां लक्ष्मी का वह स्वरूप है जो वरदान देने वाली देवी मानी जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से अष्टलक्ष्मी (धनलक्ष्मी, धर्मलक्ष्मी, सौभाग्यलक्ष्मी, संतोषलक्ष्मी, विद्या लक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और सन्मानलक्ष्मी) की कृपा प्राप्त होती है।

    व्रत की विधि -

    • प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें और घर को स्वच्छ व सुगंधित करें।
    • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर मां लक्ष्मी की प्रतिमा या कलश स्थापित करें।
    • कलश में जल, अक्षत, सुपारी, सिक्के और पांच प्रकार के पत्ते रखें।
    • कलश पर लाल वस्त्र और नारियल रखें और स्वास्तिक बनाएं।
    • मां लक्ष्मी को चूड़ी, सिंदूर, वस्त्र, फूल, फल, मिठाई आदि अर्पित करें।
    • 'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः' मंत्र का जाप करें या लक्ष्मी स्तोत्र, कनकधारा स्तोत्र, श्रीसूक्त का पाठ करें।
    • महिलाएं इस दिन राखी जैसी 'चरणकमल बंदी' हाथ में बांधती हैं और परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना करती हैं।

    यह दैनिक पंचांग Astropatri.com के सौजन्य से प्रस्तुत है। सुझाव व प्रतिक्रियाओं के लिए hello@astropatri.com पर ईमेल करें।