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    Akshaya navami 2025: कब और क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी, जानिए इस दिन का महत्व

    Updated: Tue, 28 Oct 2025 10:32 AM (IST)

    अक्षय नवमी के (Akshaya navami 2025) दिन मुख्य रूप से आंवले के पेड़ की पूजा का जाती है, इसी कारण से इस दिन को आंवला नवमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को दान-पुण्य से संबंधित कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि अक्षय नवमी क्यों मनाई जाती है और इस दिन का क्या महत्व है।

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    Akshaya navami 2025 Date and time in hindi

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल देवउठनी एकादशी से दो दिन अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा-अर्चना की जाती है। माना गया है कि अक्षय नवमी (Akshaya navami 2025 Date) पर किए गए शुभ कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।

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    अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त (Akshay Navami Muhurat)

    कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 30 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 31 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 3 मिनट पर होगा। ऐसे में अक्षय नवमी शुक्रवार 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दौरान पूजा का शुभ समय कुछ इस प्रकार रहेगा -

    अक्षय नवमी पूर्वाह्न समय - सुबह 6 बजकर 44 मिनट से सुबह 10 बजकर 3 मिनट तक

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    अक्षय नवमी का महत्व (Akshay Navami Importance)

    'अक्षय' का अर्थ होता है अमर या जिसका कभी क्षय न हो। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पर किए गए दान-पुण्य से प्राप्त होने वाला फल कभी नष्ट या कम नहीं होता। अक्षय नवमी को आंवला नवमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन पर आंवले के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व माना गया है।

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से पूर्णिमा तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। साथ ही इस दिन पर आंवले का सेवन करना और आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर खाने से साधक व उसके परिवार को अच्छी सेहत का आशीर्वाद भी मिलता है।

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    क्यों मनाया जाता है यह दिन

    ऐसा माना गया है कि अक्षय नवमी से ही सत्य युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि भी कहा जाता है। साथ ही कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी। यही कारण है कि अक्षय नवमी के दिन मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।