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    Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर करें मां लक्ष्मी और कुबेर जी की भव्य आरती, धन-दौलत से भर जाएगा घर

    Updated: Wed, 30 Apr 2025 06:20 AM (IST)

    अक्षय तृतीया का पर्व बहुत फलदायी माना जाता है। इस साल अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025 Date) 30 अप्रैल यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस बार इस शुभ दिन पर रोहिणी नक्षत्र का निर्माण हो रहा है जिसकी वजह से इस दिन का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इस शुभ दिन को और भी खास बनाने के लिए मां लक्ष्मी की भव्य आरती जरूर करें।

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    Akshaya Tritiya 2025: माता लक्ष्मी की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया (Akshaya Tritiya 2025) का त्योहार हर साल बड़ी धूमधूाम के साथ मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अक्षय तृतीया 30 अप्रैल यानी आज के दिन मनाई जा रही है। इस दिन को और भी शुभ और पावन बनाने के लिए मां लक्ष्मी की आरती जरूर करें। सबसे पहले सुबह उठें और स्नान करें।

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    फिर माता लक्ष्मी का ध्यान करें। देवी के सामने घी का दीपक जलाएं। माता लक्ष्मी, कुबेर जी की भव्य आरती करें। अंत में आरती करें। ऐसा करने से धन की मुश्किलें दूर होंगी।

    ॥माता लक्ष्मी की आरती॥

    महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं,

    नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।

    हरि प्रिये नमस्तुभ्यं,

    नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥

    पद्मालये नमस्तुभ्यं,

    नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।

    सर्वभूत हितार्थाय,

    वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता,

    मैया जय लक्ष्मी माता ।

    तुमको निसदिन सेवत,

    हर विष्णु विधाता ॥

    उमा, रमा, ब्रम्हाणी,

    तुम ही जग माता ।

    सूर्य चद्रंमा ध्यावत,

    नारद ऋषि गाता ॥

    ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

    दुर्गा रुप निरंजनि,

    सुख-संपत्ति दाता ।

    जो कोई तुमको ध्याता,

    ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥

    ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

    तुम ही पाताल निवासनी,

    तुम ही शुभदाता ।

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी,

    भव निधि की त्राता ॥

    ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

    जिस घर तुम रहती हो,

    ताँहि में हैं सद्‍गुण आता ।

    सब सभंव हो जाता,

    मन नहीं घबराता ॥

    ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

    तुम बिन यज्ञ ना होता,

    वस्त्र न कोई पाता ।

    खान पान का वैभव,

    सब तुमसे आता ॥

    ॥ॐ जय लक्ष्मी माता...॥

    ॥कुबेर जी की आरती॥

    ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,

    स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।

    शरण पड़े भगतों के, भंडार कुबेर भरे।

    ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे ॥

    शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,

    स्वामी भक्त कुबेर बड़े।

    दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े ॥

    ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे ॥

    स्वर्ण सिंहासन बैठे, सिर पर छत्र फिरे,

    स्वामी सिर पर छत्र फिरे।

    योगिनि मंगल गावैं, सब जय जयकार करैं॥

    ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे ॥

    गदा त्रिशूल हाथ में, शस्त्र बहुत धरे,

    स्वामी शस्त्र बहुत धरे।

    दुख भय संकट मोचन, धनुष टंकार करे॥

    ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

    भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,

    स्वामी व्यंजन बहुत बने।

    मोहन भोग लगावैं, साथ में उड़द चने॥

    ॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे॥

    यक्ष कुबेर जी की आरती,

    जो कोई नर गावे, स्वामी जो कोई नर गावे ।

    कहत प्रेमपाल स्वामी, मनवांछित फल पावे।

    ॐ जय यक्ष कुबेर हरे,

    स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।